
गूगल ने डूडल बनाकर भारत की पहली महिला डॉक्टरों में से एक ‘कादंबिनी गांगुली’ को किया सम्मानित
आज भारत की पहली महिला डॉक्टरों में से एक कादम्बिनी गांगुली का जन्मदिन है। कादम्बिनी की याद में गूगल ने उनके 160वें जन्मदिन पर डूडल के माध्यम से उन्हें होमपेज पर सम्मान दिया। इस डूडल को ओड्रिजा नाम के एक कलाकार ने बनाया है।
कादंबिनी गांगुली को भारत की पहली महिला डॉक्टरों में से एक के रूप में जाना जाता है। आज उनके 160वें जन्मदिन पर गूगल ने डूडल के माध्यम से उन्हें सम्मानित किया। डूडल बेंगलुरु के एक कलाकार ओड्रिजा द्वारा बनाया गया है। बता दें, गूगल अपने होमपेज पर अलग-अलग लोगों और अलग-अलग मौकों को क्रिएटिव डूडल के जरिए सेलिब्रेट करने के लिए जाना जाता है। अपनी कलाकारी पर बात करते हुए, ओड्रिजा ने कहा- “कोविड के साल में हमने देखा कि कैसे मेडिकल और डॉक्टर्स ने इतना महान काम किया और सभी की हीरो की तरह जान बचाई। समय को पीछे मुड़कर देखें, तो कादम्बिनी गांगुली भारत के मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर में अपना योगदान देने में सबसे आगे थीं, जिसने उन्हें वेस्टर्न मेडिसिन में अपनी पढ़ाई में ट्रिपल डिप्लोमा दिलाया। इस डूडल पर काम करना मेरे लिए बहुत गर्व बात थी।”
6 जुलाई, 1861 को बिहार के भागलपुर में जन्मी कादम्बिनी गांगुली को भारत की पहली महिला डॉक्टरों में से एक के रूप में जाना जाता है। गांगुली ने 1884 में कलकत्ता मेडिकल कॉलेज से पढाई की थी। जिस समय महिलाओं का पढ़ना गलत माना जाता था, उस दौर में भी उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई की। कादम्बिनी गांगुली और आनंदी गोपाल जोशी दोनों ने एक ही साल में अपनी डिग्री प्राप्त की थी।
गांगुली ने प्रोफेसर, द्वारकानाथ गांगुली से शादी कीं थी, जिन्होंने उन्हें मेडिकल में अपना करियर बनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने तब मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया। बाद में, वह आगे की पढ़ाई के लिए यूनाइटेड किंगडम गई। वह ना केवल भारत में बल्कि पूरे दक्षिण एशिया में पहली महिला डॉक्टर में से एक बन गईं।
कादंबिनी गांगुली का योगदान
चिकित्सीय अनुभव प्राप्त करने और मेडिकल में अभ्यास करने के बाद, गांगुली कई सामाजिक आंदोलनों में भी एक्टिव थीं। उन्होंने महिला कोयला खनिकों की स्थिति में सुधार के लिए आवाज़ उठाई थी। इसके साथ हीं, वो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला प्रतिनिधिमंडल में भी शामिल थीं। बाद में, बंगाल पार्टीशन के दौरान, कादम्बिनी ने कलकत्ता में महिला सम्मेलन का आयोजन किया और 1908 में इसके अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। उन्होंने महिला उम्मीदवारों को एडमिशन नहीं देने के लिए कलकत्ता मेडिकल कॉलेज का भी विरोध किया था।
कादंबिनी गांगुली के अंतिम दिन
लंबे समय तक अभ्यास करने और कई सामाजिक कार्यों में शामिल होने के बाद, कादम्बिनी गांगुली 1898 में अपने पति की मृत्यु के बाद से अस्वस्थ थीं। अपने आखिरी दिनों में भी, वह कई कार्यक्रमों में भाग ले रही थी। 3 अक्टूबर, 1923 को उनका निधन हो गया था। महिला शिक्षा और मेडिकल सेक्टर में उनके योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।
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