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सेवा परमो धर्म:।। के मंत्र को जपते हुए संघ कर रहा है जरूरतमंदों की मदद

भाऊराव देवरस सेवा न्यास राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा को पोषित एवं पल्लवित करने वाला संगठन है, सेवा, शिक्षा एवं संस्कार निर्माण के अनूठे प्रकल्प को आकार देते हुए वह कोरोना मुक्ति के महासंग्राम के प्रति भी जागरूक है।

कोरोना महासंकट एवं महामारी के इस विषम दौर में आज आवश्यकता है आदमी और आदमी के बीच सम्पूर्ण अन्तर्दृष्टि और संवेदना के सहारे सह-अनुभूति की भूमि पर पारस्परिक संवाद की, सेवा एवं परोपकार की, मानवीय मूल्यों के पुर्न स्थापना की, सेवा क्रांति की। आवश्यकता है कि राष्ट्रीय अस्मिता के चारों ओर लिपटे अंधकार के विषधर पर एवं कोरोना के कहर से पीड़ित मानवता के अंधेरा पर सेवा-संगठन अपनी पूरी ऊर्जा और संकल्पशक्ति के साथ प्रहार करे तथा वर्तमान की हताशा में से नये विहान और इंसानियत के उजालों का आविष्कार करे। जहां इस महासंकट के निजात पाने में दुनिया की बड़ी-बड़ी शक्तियां धराशायी हो गई या स्वयं को निरुपाय महसूस कर रही है, ऐसे समय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहयोगी संगठन भाऊराव देवरस सेवा न्यास ने अपनी सुनियोजित तैयारियों, संकल्प एवं सेवा-प्रकल्पों के जरिये कोरोना के खिलाफ लड़ाई में जरूरतमंदों की सहायता के लिये मैदान में हैं, ‘नर सेवा नारायण सेवा’ के मंत्र पर चलते हुए न्यास एवं उसके कार्यकर्ता दिल्ली एवं लखनऊ सहित अन्य शहरों में हर स्तर पर राहत पहुंचाने में जुटे हैं।

भाऊराव देवरस न्यास एवं उसके जुझारू, सेवाभावी एवं समर्पित कार्यकर्ता गरीब और जरूरतमंदों को दोनों वक्त भोजन खिला रहे हैं, जरूरतमंदों के बीच जाकर खाद्य सामग्री के पैकेट, मास्क, सेनेटाइजर, दवाइयां एवं अन्य जरूरी सामग्री बांटकर लोगों को राहत पहुंचा रहे हैं, जागरूक कर रहे हैं। वे इस आपदा-विपदा में किसी देवदूत की भांति सेवा कार्यों में लगे हुए हैं। उनकी संवेदनशीलता एवं सेवा-भावना की सर्वत्र प्रशंसा हो रही है। यह ऐसी उम्मीद की किरण है जिससे आती रोशनी इस महासंकट से लड़ लेने एवं उसे जीत लेने की संभावनाओं को उजागर कर रही है।

भाऊराव देवरस न्यास विगत कुछ वर्षों से एम्स दिल्ली के निकट रोगियों के परिजनों एवं सहायकों के लिए विश्राम सदन चला रहा है और गरीब लोगों को मुफ्त भोजन विभिन्न अस्पतालों के निकट बाँटता है। इस भव्य एवं चार मंजिले विश्राम सदन को कोरोना मुक्ति केन्द्र के रूप में आकार दे दिया गया है। न्यास ने कोरोना महासंकट के इस कठिन समय में आगे आकर इन पीड़ितों को दो समय का भोजन और राशन किट देने की व्यवस्था दिल्ली और लखनऊ में लॉकडाउन के पहले दिन से ही शुरू कर दी थी। वर्तमान में पूरी दिल्ली में विभिन्न स्थानों पर लगभग 10000 भोजन के पैकेट दिन में और 5000 रात को वितरित किये जा रहे हैं। उदारमना लोगों के सहयोग से दिन प्रतिदिन यह संख्या बढ़ रही है और 23 अप्रैल तक लगभग तीन लाख से अधिक पैकटों का वितरण इस माध्यम से किया जा चुका है। यह वितरण दिल्ली पुलिस एवं अन्य अधीकृत एजेन्सियों के माध्यम से दिल्ली की विभिन्न कालोनियों में हो रहा है। अखिल भारतीय मारवाड़ी युवा मंच, लॉयन क्लब नई दिल्ली अलकनंदा, अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन जैसी अन्य संस्थाएं भी न्यास के साथ जुड़कर प्रतिदिन सैंकड़ों भोजन पैकेट वितरण की जिम्मेदारी लिये हुए हैं।

दिल्ली में नॉर्थ ईस्ट के राज्यों के लोगों की सहायता के लिए 1000 मैगी के पैकेट और बच्चों के लिए दूध के वितरण की व्यवस्था सेवा भारती के माध्यम से की जा चुकी है। सेवा भारती के ही माध्यम से राशन किट का वितरण किया जा रहा है। भोजन वितरण योजना प्रमुख श्री रामअवतार किला के अनुसार इस किट में आटा, चावल, दालें, तेल, नमक, चीनी, चाय, मसाले, बिस्कुट, कॉर्नफ्लेक्स, मुएस्ली इत्यादि जरूरत का सामान रहता है। ऐसे 10000 से भी अधिक राशन के किट बांटने के लिए सेवा भारती को राशि दी जा चुकी है। इसे और बढ़ाने का प्रयास निरन्तर जारी है। ओएनजीसी और पॉवर ग्रिड कारपोरेशन ऑफ इंडिया जैसे संस्थान भी अपने सीएसआर फण्ड के अंतर्गत न्यास को संबल प्रदान कर रहे हैं। कोरोना वायरस महासंकट की अभूतपूर्व त्रासदी से निपटने के लिए भाऊराव देवरस सेवा न्यास के अध्यक्ष श्री ओमप्रकाश गोयल खुद सेवा अभियान का नेतृत्व खुद कर रहे हैं।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कोरोना के योद्धा यानि स्वास्थ्यकर्मी, चिकित्सक, पुलिसकर्मी, सफाईकर्मी, मीडियाकर्मी और अन्य जरूरी सेवाओं में लगे लोग जनजीवन को सुरक्षित रखने के लिए अपनी जान की परवाह न करते हुए अनवरत अपने-अपने मोर्चे पर डटे हैं। हम अपने घरों में सुरक्षित हैं तो इनके योगदान के ही कारण। हम सभी घर पर बैठे हुए उनके लिए केवल प्रार्थना ही कर सकते हैं कि भगवान् उन्हें और उनके परिवार को इस कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाकर रखे। यदि हम उनकी कुछ सहायता कर सकते हैं तो वह है कि उनकी सुरक्षा के जो उपकरण आवश्यक हैं वे उन्हें उपलब्ध करवा कर दें ताकि उनकी स्वयं की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। न्यास ने यह काम अपने हाथ में लिया है। न्यास ने सैंकड़ों की संख्या में पीपीई किट उपलब्ध कराए हैं। परन्तु आवश्यकता इससे कहीं अधिक है जिसकी पूर्ति के लिए न्यास समाज के उदारमना एवं दानशील लोगों से व्यापक स्तर पर सम्पर्क कर उन्हें इस सेवा कार्य के लिये प्रेरित कर रही है। इस एक किट की कीमत लगभग रूपये 1000 है। 

लखनऊ में भी न्यास ने सड़क किनारे रहने वाले ऐसे परिवारों, जिनका बीपीएल कार्ड नहीं बना है उन्हें 10000 से अधिक राशन के पैकेट दिए जा चुके हैं। साथ ही 500 से अधिक लोगों के लिए प्रतिदिन भोजन की व्यवस्था की जा रही है। लखनऊ में माधव सभागार में सरकार की योजना से न्यास द्वारा 48 बिस्तरों वाले आइसोलेशन वार्ड का विधिवत उद्घाटन हो गया है और मरीजों का आवंटन भी हो गया है। वहीं पर दो रसोइघर भी तैयार की गयी हैं जो प्रशासन की त्वरित आवश्यकताओं के अनुसार तुरंत भोजन के पैकेट उपलब्ध करवा रही हैं। लखनऊ में ही न्यास द्वारा संचालित माधव सेवा आश्रम में पीजीआई ट्रामा सेंटर के चिकित्सकों के लिए 40 बिस्तरों वाले केंद्र की स्थापना की गई है। भोजन वितरण की योजना पटना सहित अन्य स्थानों पर भी प्रारम्भ करने की योजना है।

भाऊराव देवरस सेवा न्यास राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा को पोषित एवं पल्लवित करने वाला संगठन है, सेवा, शिक्षा एवं संस्कार निर्माण के अनूठे प्रकल्प को आकार देते हुए वह कोरोना मुक्ति के महासंग्राम के प्रति भी जागरूक है। सीमित साधनों में यह न्यास सेवा एवं सहायता का विलक्षण कार्य कर रहा है। एक जनकल्याणकारी, सामाजिक-सांस्कृतिक-राष्ट्रीय संगठन के रूप में न्यास देश और शायद दुनिया का एक अनुकरणीय सेवा प्रकल्प है। जिसने हमेशा नई लकीरें खींची हैं, एक नई सुबह का अहसास कराया हैं। वह शोषण और स्वार्थ रहित समाज चाहता है, जिसमें सभी लोग समान हों। समाज में कोई भेदभाव न हो। दूसरों के अस्तित्व के प्रति संवेदनशीलता आदर्श जीवनशैली का आधार तत्व है और न्यास इसे प्रश्रय देता है। इसके बिना अखण्ड राष्ट्रीयता एवं समतामूलक समाज की स्थापना संभव ही नहीं है। जब तक व्यक्ति अपने अस्तित्व की तरह दूसरे के अस्तित्व को अपनी सहमति नहीं देगा, तब तक वह उसके प्रति संवेदनशील नहीं बन पाएगा।

कोरोना महामारी के पीड़ितों के प्रति भी संवेदनशीलता जागना जरूरी है। कोरोना से मुक्ति की अनिवार्य शर्त यह है कि आप खुशियां बांटें। खुशियां बांटने से बढ़ती हैं और दुख बांटने से घटता है। यही वह दर्शन है जो हमें स्व से पर-कल्याण यानी परोपकारी बनने की ओर अग्रसर करता है। जीवन के चैराहे पर खड़े होकर यह सोचने को विवश करता है कि सबके लिये जीने का क्या सुख है? सड़क पर पड़े सिसकते व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाना हो या भूखें-प्यासे-बीमार की आहों को कम करना, किसी की भूख को शांत करना हो या कोरोना की पीड़ा को कम करना, अन्याय और शोषण से प्रताड़ित की सहायता करना हो या सर्दी से ठिठुरते व्यक्ति को कम्बल ओढ़ाना, किन्हीं को नेत्र ज्योति देने का सुख है या जीवन और मृत्यु से जूझ रहे व्यक्ति के लिये रक्तदान करना-ये जीवन के वे सुख है जो इंसान को भीतर तक खुशियों से सराबोर कर देते हैं और भाऊराव देवरस सेवा न्यास ऐसे ही सेवा-प्रकल्पों को लेकर हर दिन नयी इबारत लिखने को तत्पर है।

-ललित गर्ग (लेखक वरिष्ठ पत्रकार व स्तंभकार हैं)
सदस्य: राजभाषा समिति, गृहमंत्रालय, भारत सरकार
अध्यक्ष: सुखी परिवार फाउण्डेशन

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