अखंड भारत की राह में, सिंध के बिना हिंद अधूरा -प्रहलाद सबनानी
जैसा कि सर्वविदित है कि प्राचीन भारत का इतिहास बहुत वैभवशाली रहा है। भारत माता…
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जैसा कि सर्वविदित है कि प्राचीन भारत का इतिहास बहुत वैभवशाली रहा है। भारत माता…
स्वतंत्रता प्राप्ति का महत्व तथा प्राथमिकता को समझते हुए भी एक प्रश्न डॉ. हेडगेवार को सतत् सताता रहता था कि, 7000 मील से दूर व्यापार करने आए मुट्ठी भर अंग्रेज, इस विशाल देश पर राज कैसे करने लगे? जरूर हममें कुछ दोष होंगे।
यदि ताइवान को लेकर ये दोनों महाशक्तियाँ भिड़ जातीं तो तीसरे विश्व-युद्ध का खतरा पैदा हो सकता था लेकिन संतोष का विषय है कि पेलोसी ने शांतिपूर्वक अपनी ताइवान-यात्रा संपन्न कर ली है। चीन मानता है कि ताइवान कोई अलग राष्ट्र नहीं है बल्कि वह चीन का अभिन्न अंग है।
40 साल बाद सरकार लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र बढ़ाकर 21 करने की कोशिश कर रही है।
पाकिस्तानी सेना ने टेके थे भारत के सामने घुटने, ये मैसेजेस भेज विजय दिवस को करें याद
पीएम किसान सम्मान निधि योजना के लाभार्थी बेनिफीशियरी लिस्ट में अपना नाम चेक कर सकते हैं। आपको यह पता होना चाहिए कि एक निश्चित समयांतराल के बाद यह लिस्ट पोर्टल पर अपलोड हो जाती है, जिसमें कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, पीएम किसान सम्मान निधि के तहत लाभ पाने वाले किसानों के नाम शामिल करता है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से ठीक पहले सभी राजनीतिक दलों के लिए ब्राह्मण क्यों हो गये हैं महत्वपूर्ण? नेताओं की ओर से ब्राह्मणों की दशा दिशा सुधारने के क्यों एक दूसरे से बढ़-चढ़कर किये जा रहे हैं वादे? क्या ब्राह्मण भाजपा से नाराज है और इस बार पाला बदल सकता है?
जैसे आप किसी कंपनी का कोई सामान ऑर्डर करते हैं, और जब आपको सामान डिलीवर होता है, तो पता चलता है कि यह वह सामान नहीं है, जो आपने आर्डर किया था। इसके लिए कई बार ग्राहक का ध्यान ना देना जिम्मेदार होता है, तो कई बार लोग लालच में भी ले लेते हैं कि ब्रांडेड सामान सस्ता मिल रहा है।
राजेंद्र बाबू ने केवल और केवल हिन्दू कानून बनाने का विरोध करते हुए कहा था कि अगर मौजूदा कानून अपर्याप्त और आपत्तिजनक है तो सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता क्यों नहीं लागू की जाती। सिर्फ एक समुदाय को ही कानूनी दखलंदाजी के लिए क्यों चुना गया। नेहरू इससे इत्तेफाक नहीं रखते थे।
बेहद दुखद है कि दुनिया के सबसे बड़े गैर राजनैतिक संगठन के प्रमुख मोहन भागवत जब हिंदू-मुस्लिम एकता पर जोर दे रहे हैं, तब कुछ नेता इसके लिए अतिरिक्त कोशिश कर रहे हैं कि हमारा समाज एकजुटता-सद्भावना की ऐसी बातों पर ध्यान न दे।