fbpx

Blog

कभी सोचा है ? जीवन में सबकुछ होने के बावजूद मन क्यों व्यथित रहता है ?

‘मूड-ऑफ’ की बात मम्मी-पापा ही नहीं, छोटे-छोटे बच्चों में देखने को मिलती है। जब तक मन को प्रशिक्षित, संतुलित और अनुशासित बनाने की दिशा में मानव समाज जागरूक नहीं होगा, तब तक बौद्धिक और आर्थिक समृद्धि भी तलवार की धार बन सकती है।

महिला सशक्तिकरण की बातें ही ज्यादा होती हैं

वर्तमान दौर में महिलाओं ने अपनी ताकत को पहचान कर काफी हद तक अपने अधिकारों के लिए लड़ना भी सीख लिया है। अब महिलाओं ने इस बात को अच्छी तरह जान लिया है कि वे एक-दूसरे की सहयोगी हैं। महिलाओं का काम अब केवल घर चलाने तक ही सीमित नहीं है।

श्रीमती चित्रलेखा पोतनीस विदर्भा प्राइड बुक ऑफ़ रिकार्ड्स की इंटरनॅशनल ब्रँड अंबॅसॅडर घोषित और VPBR सोशल रिफॉर्मर अवार्ड से सम्मानित।

“ मैं महिलाओं को अपने पैरों पर खड़े होने में मदद करने के लिए शिक्षा और रोजगार देने की कोशिश करती हूं. ऐसा करते हुए, मैं यह सुनिश्चित करती हूं की वे अभिभूत न हों. चाहे कितनी भी जरूरत हो, मैंने कभी मुफ्त शिक्षा नहीं दी और बिना योग्यता के नौकरी भी नहीं दी। मेरा निरंतर प्रयास है कि मैं उन्हें अपने दम पर कुछ पाने की संतुष्टि का अनुभव कराऊँ ”
–चित्रलेखा पोटनीस

भारतीय बैंकों की दिशा एवं दशा सुधारने हेतु किए जा रहे हैं भरपूर प्रयास

कुल मिलाकर प्रयास यह हो रहा है कि किस प्रकार बैंकों में जमाकर्ताओं के हित सुरक्षित रहें। बोर्ड के सदस्यों की बैंक के जमाकर्ताओं के प्रति भी कुछ जवाबदारी बनती है। हालाँकि अभी के नियमों के अंतर्गत, बैंक का प्रबंधन बैंक के बोर्ड के प्रति जवाबदेह होता है।

गेम चेंजर साबित हो सकता है ग़रीब कल्याण रोज़गार अभियान

इस तरह के रोज़गार अभियान की देश में बहुत लम्बे समय से ज़रूरत थी। महानगरों से ग्रामों की ओर पलायन किए गए श्रमिकों में से दो तिहाई पलायनकर्ता श्रमिक कुशल हुनर वाले हैं। इसलिए यह विशेष योजना कुशल एवं अर्धकुशल श्रमिकों के लिए ही लाई गई है।

आरोग्य सेतु एप पर सवाल उठाने वाले क्या इसकी विशेषताएँ जानते हैं?

कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए भारत में भी पिछले माह नीति आयोग द्वारा ‘आरोग्य सेतु एप’ लांच किया गया था, जो उपयोगकर्ता को यह बताने में सहायक सिद्ध होता है कि उसके आसपास कोई कोरोना संक्रमित व्यक्ति तो नहीं है।

18 मार्च से दिल्ली एयरपोर्ट पर एक जर्मन आदमी रह रहा है और यह हॉलीवुड मूवी ‘द टर्मिनल’ जैसा है

अपराधी होने की वजह से इस जर्मन नागरिक को भारत ने वीजा नहीं दिया. इस घटना की तुलना ‘द टर्मिनल (The Terminal)’ फिल्म से की जा रही है. ह 18 मार्च को वियतनाम से एक वियतजेट एयर फ्लाइट से नई दिल्ली के ट्रांजिट एरिया में उतरा था.