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लाल किले पर अलग अंदाज में 15 अगस्त, कोरोना वॉरियर्स के बीच तिरंगा फहराएंगे PM मोदी

करीब 1500 लोगों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित कर सकते हैं। ध्वजारोहण, परेड और पीएम का राष्ट्र के नाम संदेश पहले की भांति ही होंगे। खबरों के अनुसार इसके अलावा दिल्ली के अलग-अलग स्कूलों के 400 एनसीसी कैडेट को बुलाया जाएगा।

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दिल्ली का मशहूर किला जिसने अपने हर दरवाजे, हर दीवार, हर मीनार पर इतिहास को संजोया हुआ है। इस ऐतिहासिक किले ने हिन्दुस्तान के हर बदलते हुए सियासी रंग को बहुत करीब से देखा है। लाल किले की प्राचीर से देश के सुल्तान का संबोधन होता है। बीते 73 बरस से बार-बार हर प्रधानमंत्री ने लाल किले से समूचे देश को सपना दिखाया, समूची दुनिया में इस बात का संदेश दिया कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। लेकिन इस वक्त भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में एक वायरस ने कोहराम मचा दिया। 15 अगस्त के दिन इस बार लाल किले स्वतंत्रता दिवस समारोह सामाजिक दूरी के साथ एकदम अलग अंदाज में मनाया जाएगा। साथ ही इस बार का सबसे बड़ा सरप्राइज कुछ ऐसे लोग होंगे जिन्हें इस मौके पर बुलाया जाएगा। ये वो लोग होंगे जिन्हें कोरोना हुआ था और उन्होंने इस बीमारी पर विजय प्राप्त की इसके साथ ही कोरोना की जंग में फ्रंट लाइन वारियर्स भी शामिल होंगे। करीब 1500 लोगों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित कर सकते हैं। ध्वजारोहण, परेड और पीएम का राष्ट्र के नाम संदेश पहले की भांति ही होंगे।

500 कोरोना वॉरियर बनेंगे राष्ट्रीय पर्व के गवाह

लाल किला मैदान में हर बार करीब 10 हजार लोग इस राष्ट्रीय पर्व का गवाह बनते थे, लेकिन इस बार इनकी जगह करीब 1500 कोरोना वॉरियरों को यहां आमंत्रित किए जाने की बात है। प्रधानमंत्री स्टेज के दोनों ओर हर बार 800 चेयर लगाई जाती थीं। इनमें एक ओर 375 और दूसरी ओर 425 चेयर लगती थीं। लेकिन इनकी संख्या इस बार घटाकर 150 किया जा सकता है। खबरों के अनुसार इसके अलावा दिल्ली के अलग-अलग स्कूलों के 400 एनसीसी कैडेट को बुलाया जाएगा।

कोरोना वॉरियर्स के साथ संबोधन

ऐसे क्षण में जब सब कुछ जैसे रूका हुआ हो, थमा हुआ हो। रुकी हुई राहें, रुकी हुई सांसें, रुके हुए लोग, रुका हुआ समाज, रुके हुए सफर, पलछिन रुका हुआ, पुरवाई रुकी हुई। लेकिन रूके हुए देश में परमात्मा को आवाज देती अंतरआत्मा की आवाजों के बावजूद सब कुछ रूका हुआ नहीं रहा। कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी साहस को हमारी चिंताओं की सेज बना डाला। इन्हें भी कोरोना हो सकता है, जिंदगी भर का रोना हो सकता है। लेकिन ये योद्धा रख कर हथेली पर जान फंसे हुए लोगों के बचा रहे हैं प्राण और दुनिया को दिखा रहे हैं कि वायरस जैसा भी हो हम हैं उससे बलवान। इसलिए तो प्रधानमंत्री मोदी भी बार-बार लगातार कोरोना वॉरियर्स की प्रशंसा करते नहीं थकते। इस बार के स्वतंत्रता दिवस पर कोरोना वॉरियर्स के सामने संबोधन का उद्देश्य यही है कि इससे इस महामारी से लड़ाई में इनका मनोबल और उंचा हो सके और कोरोना से जूझ रहे देश को भी इनके जरिए प्रधानमंत्री सकारात्मक संदेश दे सकें।

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