fbpx

विकास दुबे के बहाने ‘ब्राह्मण कार्ड’ खेलने वाले कर रहे हैं तुच्छ राजनीति

वोट बैंक की सियासत करने वाले कुछ सियासी सूरमाओं ने विकास दुबे को लेकर भी तुच्छ राजनीति शुरू कर दी है। सोशल मीडिया फेसबुक व व्हाट्सएप आदि पर दुर्दांत अपराधी आठ पुलिस वालों सहित कई ब्राह्मणों के हत्यारे विकास दुबे को ब्राह्मण शिरोमणि बताया जा रहा है।

Like, Share and Subscribe

आठ पुलिस कर्मियों के हत्यारे ‘विकास दुबे कानपुर वाले’ की मुठभेड़ में मौत से समाजवादी और कांग्रेसी नेता भले संतुष्ट न हों, लेकिन प्रदेश की करीब 23 करोड़ जनता इस बात से काफी खुश है कि 35 वर्षों से दहशत का पर्याय बना हुआ विकास दुबे मार दिया गया है। जनता विकास का ऐसा ही अंत देखना चाहती थी। वह नहीं चाहती थी कि अन्य तमाम माफियाओं की तरह विकास को भी पकड़ कर पहले उस पर केस चलाया जाए, फिर सजा तय हो। विकास पकड़ा जाता तो उसे पहले-पहल जमानत नहीं मिलती। फिर वह अन्य माफियाओं की तरह सबूतों से छेड़छाड़ और गवाहों को धमकाने का खेल शुरू कर देता, जैसा कि उसने दर्जा प्राप्त मंत्री संतोष शुक्ला की हत्या करने के बाद किया था। विकास की दबंगई के चलते ही संतोष हत्याकांड के गवाह कोर्ट में मुकर गए थे, जिसके चलते विकास बरी हो गया था। अपने खिलाफ चल रहे तमाम मुकदमों में विकास गवाहों को तोड़ने और साक्ष्यों को मिटाने का कुचक्र रचता रहता था। उसके इस कृत्य में कुछ नेताओं और पुलिस वालों का भी साथ मिलता था।

अखिलेश हों या मायावती अथवा प्रियंका वाड्रा, विकास की मौत से सब सन्न रह गए हैं। क्योंकि यह नेता जानते हैं कि विकास के खात्मे का सबसे अधिक फायदा योगी सरकार यानी बीजेपी को होगा। बीजेपी को फायदा नहीं हो, इसी ‘तोड़’ को निकालने के लिए कुछ नेताओं ने विकास की मौत के बहाने ब्राह्मण कार्ड खेलना शुरू कर दिया है। माहौल ऐसा बनाया जा रहा है जैसे विकास को ब्राह्मण होने का खामियाजा भुगतना पड़ गया हो। विपक्ष का ब्राह्मण कार्ड खेलना इसलिए संभव लगता है क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बारे में विपक्ष द्वारा पहले भी आम धारणा बनाई जाती रही थी कि योगी जी अपनी सरकार में ब्राह्मणों को महत्व नहीं देते हैं, जबकि क्षत्रीय लॉबी योगी सरकार में हावी है।

वोट बैंक की सियासत करने वाले कुछ सियासी सूरमाओं ने विकास दुबे को लेकर भी तुच्छ राजनीति शुरू कर दी है। सोशल मीडिया फेसबुक व व्हाट्सएप आदि पर दुर्दांत अपराधी आठ पुलिस वालों सहित कई ब्राह्मणों के हत्यारे विकास दुबे को ब्राह्मण शिरोमणि बताया जा रहा है। विकास दुबे की तुलना स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी सिपाही व अमर हुतात्मा मंगल पांडेय से हो रही है। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि जाति के ठेकेदारों द्वारा उसको भगवान परशुराम का अवतारी तक बताया जा रहा है, जिसमें आम ब्राह्मण युवा भी फंसते हुए नजर आ रहे हैं। विकास दुबे को ब्राह्मण शिरोमणि साबित करने की आड़ में ये लोग अपना एजेंडा चला रहे हैं तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ब्राह्मण विरोधी बता रहे हैं।

योगी पर ब्राह्मण विरोधी होने का ठप्पा लगाने वाले कहते हैं कि योगी सरकार के आते ही 22 अप्रैल को पूर्व मंत्री और एक जमाने में पूर्वांचल में खास धमक रखने वाले हरिशंकर तिवारी के आवास (हाता) पर पुलिस ने छापा मारा था। और शायद जीवन में पहली बार हरिशंकर तिवारी खुद जुलूस में पैदल चलते नजर आए थे। योगी पर ठाकुराई करने का आरोप लगाने वाले कहते हैं कि बात ज्यादा पुरानी नहीं है। जब शाहजहांपुर में एक छात्रा के रेप के आरोपी पूर्व सांसद और मंत्री चिन्मयानंद को योगी पुलिस सिर्फ इसलिए बचाती रही क्योंकि वह ठाकुरों को नाराज नहीं करना चाहते थे। इसीलिए चिन्मयानंद तो गिरफ्तारी के बाद भी अस्पताल में रहे लेकिन, पीड़िता को वसूली के आरोप में जेल में डाल दिया गया है। उन्नाव के भाजपा नेता और विधायक कुलदीप सेंगर के मामले में भी विपक्षी दलों ने कुछ ऐसे ही आरोप लगाए थे। उनका कहना है कि क्षत्रिय होने के कारण दोनों को सरकार की ओर से संरक्षण मिलता रहा। समाजवादी पार्टी तो शुरू से आरोप लगा रही है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में एक विशेष जाति को अधिक तवज्जो दी जा रही है। ‘क्षत्रिय कनेक्शन’ के कारण कुलदीप सिंह सेंगर व चिन्मयानंद को इतने लंबे समय तक बचाया गया। जिस तरह से विकास की मौत पर एक जाति विशेष से जोड़कर बयानबाजी हो रही है, उससे तो यही लगता है कि यह मसला अभी और गरमाएगा।

बहरहाल, विकास की मौत का एक और एंगल भी है। कई दिग्गज नेताओं ने विकास की मौत से राहत की सांस ली हैं। विकास मुंह खोलता तो कई खादी और खाकी वर्दी वालों की नींद हराम हो जाती। इन नेताओं की सियासी मजबूरी है जो यह नेता अंदर ही अंदर तो खुश हैं, लेकिन विकास के बहाने योगी सरकार को घेरने का मौका भी छोड़ने को तैयार नहीं हैं। योगी को घेरने के लिए विपक्षी नेता ‘गिरगिट’ की तरह रंग बदल रहे हैं तो बेशर्मी की सभी हदें भी पार करने में लगे हैं। कल तक जो नेता पुलिस के विकास की गिरफ्तारी करने के दावे पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे थे, वही आज विकास की मौत पर सवाल खड़ा कर रहे हैं।

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के उज्जैन महाकाल मंदिर से पकड़ा गया कानुपर का दुर्दांत अपराधी और सफेदपोश विकास दुबे शुक्रवार तड़के कानपुर में उत्तर प्रदेश एसटीएफ के साथ एनकाउंटर में मारा गया था। इस एनकाउंटर पर सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव जिनके पिताजी और स्वयं उनके (अखिलेश) शासनकाल में विकास खूब फलाफूला था, ने सवाल उठाते हुए कहा ‘दरअसल ये कार नहीं पलटी है, राज खुलने से सरकार पलटने से बचाई गई है।’ उन्होंने यह बात ट्वीट करके कही। अखिलेश के अलावा मायावती, प्रियंका गांधी समेत अन्य नेताओं ने भी इस एनकाउंटर को लेकर प्रतिक्रिया दी है। मायावती ने इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए कहा, ‘कानपुर पुलिस हत्याकांड की तथा साथ ही इसके मुख्य आरोपी दुर्दान्त विकास दुबे को मध्य प्रदेश से कानपुर लाते समय पुलिस की गाड़ी के पलटने व उसके भागने पर यूपी पुलिस द्वारा उसे मार गिराए जाने आदि के समस्त मामलों की माननीय सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। यह उच्च-स्तरीय जांच इसलिए भी जरूरी है ताकि कानपुर नरसंहार में शहीद हुए 8 पुलिसकर्मियों के परिवार को सही इंसाफ मिल सके। साथ ही, पुलिस व आपराधिक राजनीतिक तत्वों के गठजोड़ की भी सही शिनाख्त करके उन्हें भी सख्त सजा दिलाई जा सके। ऐसे कदमों से ही यूपी अपराध-मुक्त हो सकता है। विकास दुबे के एनकाउंटर पर कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ट्वीट करके कहा कि अपराधी का अंत हो गया, अपराध और उसको संरक्षण देने वाले लोगों का क्या?

लब्बोलुआब यह है कि जिनके स्वयं के दामन दागदार हों, उन्हें दूसरों के ऊपर कीचड़ उछालने का हक नहीं है। समाजवादी नेता अखिलेश यादव, बसपा सुप्रीमो मायावती या फिर प्रियंका वाड्रा यह नहीं कह सकती हैं कि उनकी छवि बेदाग है। सभी के ऊपर कहीं न कहीं भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं।

-अजय कुमार

Like, Share and Subscribe

Leave a Reply

Your email address will not be published.Required fields are marked *