वर्चुअल रैली से राजनीतिक गतिविधियां Unlock, अब ऑस्ट्रेलियाई PM संग ऑनलाइन डिप्लोमैसी Talk
बशीर बद्र का एक मशहूर शेर है…’कोई हाथ भी न मिलाएगा, जो गले मिलोगे तपाक से, ये नए मिजाज का शहर है, जरा फासले से मिला करो’। वैसे तो ये शेर किसी और संदर्भ में लिखा गया हो, लेकिन कोरोना काल के इस दौर में ये एकदम सटीक बैठता है। कोरोना काल ने लोगों की सोच-विचार ही नहीं, लोक व्यवहार भी बदल दिया है। आज जब कोरोना संक्रमण से मनुष्य, समाज और राष्ट्रों के व्यवहार में गंभीर परिवर्तन आ रहा है, तब लोकतंत्र और राजनीति में भी बदलाव आना लाजिमी है। और तो और कोरोना ने फॉरेन डिप्लोमेसीको भी बदल दिया है। तकनीकि बदलाव की इस बयार में भारत इसमें अग्रणी की भूमिका में नजर आ रहा है। जिसकी बानगी 4 चार जून को देखने को मिलेगी। जब ग्लोबल डिप्लोमैसी में एक नई मिसाल रचते हुए दो देशों के प्रमुख द्विपक्षीय वार्ता के लिए ऑनलाइन मिलेंगे।
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत करेंगे। दोनों नेता द्विपक्षीय संबंधों और कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर भी चर्चा करेंगे। इसके अलावा रक्षा, व्यापार और समुद्री सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भी बात होगी। हालांकि कोरोना महामारी के बाद जी-20 और सार्क देशों के प्रमुखों ने आपस में विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जरूर बात की है लेकिन इसमें मुद्दा सिर्फ कोरोना से लड़ने के लिए संयुक्त रणनीति बनाना था। इन दोनों वर्चुअल कॉन्फ्रेंसिंग में भी एक जरूरी प्वाइंट ये है कि पीएम मोदी ने ही सार्क देशों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मीटिंग का न्योता दिया था, ताकि कोविड-19 के खिलाफ साथ मिलकर लड़ा जा सके। रही बात जी-20 की तो इसका प्रस्ताव भी हमारे प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए जी20 देशों के बीच संयुक्त रणनीति बनाने के लिए दिया था।
इन सब से इतर दिलचस्प बात ये है कि साल 2017 में भारत की अंतरिक्ष कूटनीति के तहत तैयार हुई दक्षिण एशिया सैटेलाइट को इसरो ने लॉन्च किया था। 50 मीटर ऊंचे रॉकेट के ज़रिए इस उपग्रह को अंतरिक्ष में भेजा गया। जिसके बाद नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सार्क देशों के राष्ट्रप्रमुखों को इसकी जानकारी दी। 450 करोड़ रुपए की लागत वाले ‘साउथ एशिया सैटेलाइट’ को मोदी ने सार्क देशों के लिए ‘अनमोल तोहफ़ा’ बताया था।
वर्चुअल और ई-पॉलिटिक्स के खोले द्वार
महामारी वाले वायरस ने देश की रफ्तार, बाजार और राजनीति का प्रचार सभी पर लॉक लगा दिया। सड़के सुनसान, भीड़-भाड़ से दूर हुआ इंसान और साथ ही सभाएं, रैलियां और प्रदर्शन सभी पर लग गया ब्रेक। लेकिन अनलॉक 1 के साथ ही भारतीय जनता पार्टी ने अपने एक साल पूरे होने पर राजनीतिक गतिलिधियों को भी खोल दिया। लॉकडाउन और कोरोना वायरस बीमारी के कारण कोई राजनीतिक कार्यक्रम तो नहीं हुआ, लेकिन इस बार भाजपा डिजिटल तौर पर अपने सरकार की उपलब्धियां बता रही है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की पहली वर्षगांठ के अवसर पर भारतीय जनता पार्टी देश भर में आभासी रैलियां और ऑनलाइन सम्मेलन आयोजित किए।
संगठन में फेरबदल
बीजेपी की पुरानी आदत कहें या खबरों में बने रहने की कला कि वो एक साथ सारे काम नहीं करती। बीजेपी ने पार्टी संगठन में दो महत्वपूर्ण फेरबदल किए। दिल्ली और छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्षों में बदलाव किया गया है। दिल्ली में जहां मनोज तिवारी को हटाकर आदेश कुमार गुप्ता को नई जिम्मेदारी दी गई है, वहीं छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय को अध्यक्ष पद की कमान सौंपी गई है।