देश में कोविड-19 महामारी के बढ़ते मामलों के बीच बीमा नियामक इरडाई ने मंगलवार को स्वास्थ्य और सामान्य बीमा कंपनियों को इजाजत दी कि वे कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ बीमा आवरण देने वाली छोटी अवधि की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी जारी कर सकती हैं। नियामक ने एक परिपत्र में कहा कि कोविड-19 महामारी से समाज के सभी तबके को बीमा संरक्षण देने के लिए यह विचार किया गया कि खासतौर से कोविड-19 बीमारी के लिए स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी वक्त की मांग है। भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (इरडाई) ने कहा कि सभी बीमाकर्ताओं (जीवन, सामान्य और स्वास्थ्य) को दिशानिर्देशों के तहत कोविड-19 के लिए छोटी अवधि के लिए स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों की पेशकश करने की अनुमति है। परिपत्र के अनुसार छोटी अवधि की पॉलिसियों को कम से कम तीन महीने के लिए और अधिकतम 11 महीने के लिए जारी किया जा सकता है। तीन महीने से कम अवधि की पॉलिसी जारी करने की इजाजत नहीं दी गई है। दिशानिर्देशों के मुताबिक तीन महीने और ग्यारह महीने के बीच पॉलिसी की अवधि महीनों के गुणक में होगी। परिपत्र में कहा गया है कि ये पॉलिसी किसी व्यक्ति को या समूह को दी जा सकती है
श्रमिकों को मिली करीब 5,000 करोड़ की नकद मदद
श्रम और रोजगार मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान दो करोड़ भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिकों को 4,957 करोड़ रुपये की नकदी सहायता मुहैया करायी गयी। श्रम मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘एक उल्लेखनीय कदम के रूप में, राज्य सरकारों ने मंत्रालय के 24 मार्च 2020 को जारी एक परामर्श के आधार पर लॉकडाउन के दौरान देश भर के लगभग दो करोड़ पंजीकृत भवन एवं अन्य निर्माण मजदूरों को आज की तारीख तक 4957 करोड़ रुपये की नकदी सहायता मुहैया करायी।’’ बयान के मुताबिक इस प्रक्रिया में करीब 1.75 करोड़ लेनेदेन प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के जरिये सीधे श्रमिकों के बैंक खातों में किए गए। लॉकडाउन के दौरान प्रति श्रमिक 1,00 से 6,000 रुपये की नकद मदद के अलावा कुछ राज्यों ने अपने यहां मजदूरों को भोजन तथा राशन भी उपलब्ध कराया। श्रम मंत्रालय निर्माण श्रमिकों के कल्याण के लिए सभी राज्य सरकारों और राज्य कल्याण बोर्ड के बीच समन्वय करने वाला नोडल केंद्रीय मंत्रालय है। मंत्रालय ने कहा कि मजदूरों को सबसे अधिक जरूरत के वक्त समय से नकद सहायता पहुंचाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी गयी। देश के असंगठित क्षेत्र के मजदूरों में भवन और अन्य निर्माण श्रमिक (बीओसीडब्ल्यू) सर्वाधिक निर्बल वर्ग है। इनमें से एक बड़ी संख्या अपने गृह राज्यों से दूर अलग अलग राज्यों में काम करने वाले प्रवासी मजदूर हैं। वे राष्ट्र निर्माण में उल्लेखनीय भूमिका अदा करते हैं, फिर भी वे खुद को समाज के हाशिये पर पाते हैं।
शाह ने केजरीवाल के दावे को गलत बताया
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवाार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस दावे का विरोध किया कि राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के लिए नया अस्पताल बनाया जा रहा है। शाह ने कहा कि दस हजार बिस्तरों वाले केंद्र को 26 जून तक संचालित करने का निर्णय तीन दिन पहले लिया गया था। शाह ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा कि कोविड-19 के रोगियों के लिए एक हजार बिस्तर का पूर्ण अस्पताल बनाया जा रहा है जिसमें 250 आईसीयू बिस्तर होंगे। उन्होंने कहा कि यह अस्पताल अगले दस दिनों में तैयार हो जाएगा और सशस्त्र बल इसे संचालित करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘केजरीवाल जी, तीन दिन पहले हमारी बैठक में इस पर निर्णय किया जा चुका है और गृह मंत्रालय ने दिल्ली के राधा स्वामी सत्संग में दस हजार बिस्तर वाले कोविड देखभाल केंद्र को संचालित करने का काम आईटीबीपी को सौंप दिया है। काम तेजी से जारी है और केंद्र का बड़ा हिस्सा 26 जून तक शुरू हो जाएगा।’’ केजरीवाल ने शाह को पत्र लिखकर दस हजार बिस्तर वाले केंद्र का निरीक्षण करने और आईटीबीपी तथा सेना के चिकित्सकों और नर्सों को केंद्र में तैनात करने का आग्रह किया था, जिसके बाद शाह ने दावे का विरोध किया। शाह ने कहा, ‘‘मैं दिल्ली के लोगों को सूचित करना चाहता हूं कि कोविड रोगियों के लिए एक हजार बिस्तर वाला अस्पताल बनाया जा रहा है जिसमें 250 आईसीयू बिस्तर होंगे। डीआरडीओ और टाटा ट्रस्ट अस्पताल का निर्माण कर रहे हैं। सशस्त्र बल यहां तैनात होंगे। यह कोविड देखभाल केंद्र अगले दस दिनों में तैयार हो जाएगा।’’ उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों को निर्देश दिया गया है कि वे दिल्ली में रेलवे के कोच में भर्ती कोविड-19 रोगियों को चिकित्सा सुविधा प्रदान करें और उनकी देखभाल करें। उन्होंने कहा कि कोविड-19 रोगियों की देखभाल के लिए दिल्ली सरकार के आग्रह पर आठ हजार अतिरिक्त बिस्तर पहले ही उपलब्ध कराए जा चुके हैं।
रामदेव को मोदी सरकार ने दिया झटका
योग गुरु रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद ने कोविड-19 के इलाज में शत-प्रतिशत कारगर होने का दावा करते हुए मंगलवार को बाजार में एक औषधि उतारी। वहीं, इसके कुछ ही घंटे बाद आयुष मंत्रालय ने उसे इस औषधि में मौजूद विभिन्न जड़ी-बूटियों की मात्रा एवं अन्य ब्योरा यथाशीघ्र उपलब्ध कराने को कहा। साथ ही, मंत्रालय ने विषय की जांच-पड़ताल होने तक कंपनी को इस उत्पाद का प्रचार भी बंद करने का आदेश दिया है। पतंजलि आयुर्वेद ने ‘कोरोनिल’ दवा पेश करते हुए मंगलवार को दावा किया कि उसने कोविड-19 का इलाज ढूंढ़ लिया है। लांकि, मंत्रालय ने कहा कि इस दावे के तथ्य और बताया जा रहे वैज्ञानिक अध्ययन के ब्योरे के बारे में उसे जानकारी नहीं है। पतंजलि को नमूने के आकार, स्थान एवं उन अस्पतालों का ब्योरा देने को कहा गया है, जहां अनुसंधान अध्ययन किया गया। साथ ही, संस्थागत नैतिकता समिति की मंजूरी भी दिखाने को कहा गया है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘संबद्ध आयुर्वेदिक औषधि विनिर्माता कंपनी को सूचित किया गया है कि आयुर्वेदिक औषधि सहित दवाइयों का इस तरह का विज्ञापन औषधि एवं चमत्कारिक उपाय (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 तथा उसके तहत आने वाले नियमों और कोविड-19 के प्रसार के मद्देनजर केंद्र सरकार द्वारा जारी निर्देशों से विनियमित होता है। इससे पहले, हरिद्वार स्थित पतंजलि योगपीठ में संवाददाताओं से रामदेव ने कहा, ‘‘यह दवाई शत प्रतिशत (कोविड-19) मरीजों को फायदा पहुंचा रही है। 100 मरीजों पर नियंत्रित क्लिनिकल ट्रायल किया गया, जिसमें तीन दिन के अंदर 69 प्रतिशत और चार दिन के अंदर शत प्रतिशत मरीज ठीक हो गये और उनकी जांच रिपोर्ट नेगेटिव आई।”
एम्स ओपीडी सेवाओं को बहाल करेगा
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने अपनी ओपीडी सेवाओं को बंद करने के तीन महीने बाद अपने पुराने रोगियों के लिए 25 जून से सेवा का संचालन बहाल करने का फैसला किया है। शुरुआत में हर विभाग में एक दिन में केवल 15 मरीजों को ही देखा जाएगा। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) सेवाएं फिलहाल पुराने रोगियों के लिए उपलब्ध होंगी, लेकिन उन विभागों में सीमित संख्या में नए रोगियों के लिए भी आवश्यक अपॉइन्ट्मेन्ट दी जाएंगी, जो प्रत्यक्ष ओपीडी परामर्श शुरू करना चाहते हैं। अपने इतिहास में पहली बार एम्स ने कोविड-19 के प्रकोप को नियंत्रित करने के उपाय के तहत 24 मार्च से अपनी विशेष सेवाओं समेत ओपीडी सेवाओं को बंद कर दिया था। मंगलवार को सभी विभागों को जारी एक आधिकारिक परिपत्र में कहा गया, ‘‘एम्स 25 जून से ओपीडी सेवाओं को फिर से शुरू करने जा रहा है। यह सूचित किया जाता है कि एम्स के निदेशक ने पुराने रोगियों के लिए अपॉइन्ट्मेन्ट को फिर से शुरू करने की मंजूरी दी है, शुरू में किसी भी विभाग में प्रति दिन 15 से अधिक मरीजों की अनुमति नहीं होगी, जिसे कुछ ही दिनों में बढ़ाया जाएगा।’’ एम्स के डॉक्टर वर्तमान में इलाजरत सभी रोगियों को फोन-परामर्श के माध्यम से सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।
‘द्विपक्षीय समझौतों’ पर विचार
भारत अंतरराष्ट्रीय यात्री उड़ानों के संचालन की बहाली के मद्देनजर प्रत्येक देश के विमानों को अनुमति देने के लिए अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस के साथ ‘द्विपक्षीय समझौता’ करने पर विचार कर रहा है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने मंगलवार को यह जानकारी दी। अमेरिका के परिवहन विभाग ने सोमवार को घोषणा की थी कि उसकी बिना मंजूरी के भारत और अमेरिका के बीच 22 जुलाई से एअर इंडिया की चार्टर्ड उडानों के संचालन पर रोक लगा दी गई है। भारत सरकार की ओर से दोनों देशों के बीच अमेरिकी विमानों के संचालन की अनुमति नहीं दिए जाने की जवाबी प्रतिक्रिया के तहत ये फैसला लिया गया, जिसके बाद मंत्रालय का यह बयान आया है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने कहा, ‘जैसा कि हम मांग के मुताबिक, उड़ान बहाली पर चिंतन कर रहे हैं, हम भारत-अमेरिका, भारत-फ्रांस, भारत-जर्मनी, भारत-ब्रिटेन के साथ व्यक्तिगत तौर पर द्विपक्षीय समझौता करने की संभावना पर विचार कर रहे हैं। ये सभी ऐसे गंतव्य हैं जहां यात्रा की मांग कम नहीं हुई है। बातचीत के लिए अंतिम निर्णय जल्द ही लिए जाने की उम्मीद है।’ उन्होंने कहा कि कई देशों से विमान सेवाओं के संचालन की अनुमति दिए जाने के संबंध में निवेदन मिले हैं और इन पर विचार किया जा रहा है।
केजरीवाल की मांगें
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर दक्षिण दिल्ली में स्थापित की जा रही 10,000 बेड वाली कोविड-19 देखभाल इकाई को संचालित करने के लिए भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और सेना से डॉक्टरों और नर्सों की मांग की। यह जानकारी सूत्रों ने दी। सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री केजरीवाल ने शाह को आध्यात्मिक संगठन राधा स्वामी सत्संग व्यास के विशाल परिसर में स्थापित की जा रही इकाई का दौरा करने के लिए भी आमंत्रित किया। सूत्रों ने कहा कि केजरीवाल ने कोविड-19 देखभाल इकाई को संचालित करने के लिए भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और सेना से डॉक्टरों और नर्सों की मांग की है। राधा स्वामी सत्संग व्यास का परिसर दिल्ली-हरियाणा सीमा पर स्थित है। कोविड-19 की यह इकाई 1700 फुट लंबी और 700 फुट चौड़ी होगी। इसमें 200 प्रकोष्ठ होंगे और प्रत्येक प्रकोष्ठ में 50 बिस्तर होंगे। गत सप्ताह दिल्ली सरकार ने कहा था कि दिल्ली में कोविड-19 के बढ़ते मामलों से निटपने के लिए राधा स्वामी सत्संग व्यास परिसर को विश्व के सबसे बड़े अस्थायी कोविड-19 देखभाल इकाई में परिवर्तित किया जा रहा है। इस महीने के शुरू में केजरीवाल ने कहा था कि इसका इस्तेमाल कोविड-19 के बिना लक्षण वाले या हल्के लक्षण वाले उन मरीजों को पृथकवास में रखने के लिए किया जाएगा जिन्हें घर पर पृथकवास में रहने में परेशानी है। केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली की स्वास्थ्य देखभाल इकाइयों में 31 जुलाई तक 1.5 लाख बेड की जरूरत होगी जब दूसरे राज्यों से लोग इलाज के लिए दिल्ली शहर में आने शुरू हो जाएंगे। उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार के सामने आने वाले समय में ‘‘अभूतपूर्व चुनौतियां’’ हैं क्योंकि आंकडों से पता चलता है कि आने वाले दिनों में दिल्ली में कोविड-19 के मामलों में तेज बढ़ोतरी होगी। सोमवार को दिल्ली में कोविड-19 के 2909 नये मामले सामने आये जिससे यहां इसके कुल मामले बढ़कर 62 हजार से अधिक हो गए। वहीं मृतक संख्या बढ़कर 2233 हो गई।
संक्रमण की दर देश में सबसे कम
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को दावा किया कि प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण की दर देश में सबसे कम 1.43 प्रतिशत है। चौहान ने ट्वीट किया, ‘मध्य प्रदेश में कोविड—19 का ग्रोथ रेट सबसे कम 1.43 प्रतिशत है, जबकि इसके मरीज़ों का रिकवरी रेट (स्वस्थ होने की दर) 76 प्रतिशत से अधिक है।’ उन्होंने कहा, ‘मध्य प्रदेश की कोरोना वायरस ग्रोथ रेट घटकर 1.43 प्रतिशत हो गई है, जबकि गुजरात की ग्रोथ रेट 2.10, राजस्थान की 2.31, महाराष्ट्र की 2.96, पश्चिम बंगाल की 3.23, उत्तरप्रदेश की 3.82 तथा तमिलनाडु की 4.21 प्रतिशत है। चौहान ने बताया कि भारत में कोरोना वायरस संक्रमण की दर 3.63 प्रतिशत है। उन्होंने कहा, ‘राज्य में कोविड—19 मरीज़ तेज़ी से ठीक हो रहे हैं। संक्रमण भी खत्म होने की ओर अग्रसर है। यह प्रदेश के नागरिकों की जागरूकता और हमारे कोरोना योद्धाओं की मेहनत का नतीजा है।’ इस बीच, मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग की एक विज्ञप्ति के अनुसार मुख्यमंत्री चौहान ने मंगलवार को मंत्रालय में वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से प्रदेश में कोविड—19 की स्थिति एवं व्यवस्थाओं की समीक्षा करते हुए कहा है कि प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण की गति निरंतर धीमी होती जा रही है। उन्होंने कहा कि अब हमें प्रदेश से कोरोना वायरस के पूर्ण उन्मूलन की ओर बढ़ना है। चौहान ने सख्त निर्देश दिए कि यदि किसी भी अस्पताल में कोविड मरीज के इलाज में थोड़ी भी लापरवाही हुई तो दोषी को नहीं छोड़ा जाएगा, कड़ी कार्रवाई होगी। हमें कोविड-19 के एक-एक मरीज की जान बचानी है। प्रदेश के दतिया जिले की समीक्षा में पाया गया कि वहाँ कोरोना वायरस के 20 मरीज स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं। दतिया जिला अब पूरी तरह संक्रमण मुक्त हो गया है। इसी प्रकार अलीराजपुर एवं उमरिया जिले भी संक्रमण मुक्त हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश की कोविड—19 जांच क्षमता 6,000 प्रतिदिन से अधिक है।
केरल में कोविड-19 से संक्रमितों की संख्या 3,503 पहुंची
केरल में मंगलवार को कोविड-19 के 141 मामले सामने आने के साथ राज्य में संक्रमितों की संख्या 3,503 तक पहुंच गई। राज्य में लगातार पांचवें दिन संक्रमण के 100 से अधिक मामले सामने आये हैं। इस बीच, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने लोगों को सावधान किया कि स्थिति ‘‘गंभीर’’ हो रही है। दिल्ली से लौटे कोल्लम के 68 वर्षीय एक व्यक्ति की मंगलवार को संक्रमण के कारण मौत हो गई, जिससे राज्य में संक्रमण के कारण अब तक जान गंवाने वालों की संख्या 22 हो गयी। विजयन ने संवाददाताओं से कहा कि 60 लोग आज संक्रमण से ठीक हुए हैं, जबकि वर्तमान में 1,620 मरीजों का इलाज चल रहा है और 1.50 लाख लोगों को निगरानी में रखा गया है। पथनमथिट्टा और पलक्कड़ में संक्रमण के 27-27 मामले सामने आये, जबकि अलप्पुझा में 19, त्रिशूर में 14, एर्नाकुलम में 13, मलप्पुरम में 11, कोट्टायम में आठ, कोझीकोड और कन्नूर ने छह-छह मामले सामने आए हैं। तिरुवनंतपुरम और कोल्लम में चार-चार मामले और वायनाड में दो मामले सामने आये हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पुष्ट मामलों में से, 79 मरीज विदेश से आए थे और 52 मरीज अन्य राज्यों से आये थे, जबकि एक स्वास्थ्य कर्मी समेत नौ अन्य लोग संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आये थे। वर्तमान में राज्य में 111 हॉटस्पॉट हैं। कई जगहों से बिना लक्षण वाले मामले भी सामने आए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘स्थिति गंभीर हो रही है। ऐसे लोग भी संक्रमित पाए गए हैं, जिन्हें कोई लक्षण नहीं था।”
प्रियंका के ट्वीट से नाराज आगरा जिला प्रशासन
आगरा जिला प्रशासन ने पिछले 48 घंटे में जिले में कोविड-19 से कथित रूप से 28 मरीजों की मौत संबंधी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के ट्वीट पर नाराजगी जाहिर करते हुए इसे भ्रामक बताया है और 24 घंटे के अंदर इसे वापस लेने को कहा है। आगरा के जिलाधिकारी प्रभु नारायण सिंह ने सोमवार को प्रियंका को ई-मेल के जरिए भेजे गए पत्र में कहा है कि कांग्रेस महासचिव का वह दावा बेबुनियाद और भ्रामक है। हालांकि प्रियंका अपने रुख पर कायम हैं। वहीं, प्रदेश कांग्रेस का कहना है कि उसे आगरा प्रशासन से अभी तक ऐसा कोई पत्र नहीं मिला है। जिलाधिकारी ने पत्र में कहा है, “ट्विटर पर डाली गई पोस्ट प्रथम दृष्टया भ्रम की स्थिति पैदा करती है। इससे यह संदेश गया है कि आगरा में 48 घंटे में कोविड-19 से 28 मरीजों की मृत्यु हुई है। यह सूचना असत्य और निराधार है।” उन्होंने कहा कि यह पोस्ट कोरोना योद्धाओं तथा जन सामान्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के साथ-साथ भय का वातावरण भी उत्पन्न करता है। इस भ्रामक और झूठी खबर का 24 घंटे के अंदर खंडन करना सुनिश्चित करें ताकि इस कोरोना वायरस महामारी के दौर में सभी नागरिकों और किसी भी पद पर कार्यरत कर्मी को स्थिति की सही जानकारी मिल सके और इस महामारी से बचाव में लगे हुए कर्मियों के मनोबल को ठेस ना पहुंचे। इस बीच, प्रदेश कांग्रेस ने आगरा प्रशासन की तरफ से ऐसा कोई भी पत्र प्राप्त होने से इनकार किया है। प्रदेश कांग्रेस के मीडिया संयोजक ललन कुमार ने अधिकारियों पर तंज कसते हुए कहा कि योगी सरकार के “कारीगर” फिर एक पत्र को मीडिया और सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि ऐसा कोई पत्र अधिकृत रूप से कांग्रेस पार्टी को मिला ही नहीं है। उन्होंने कहा कि इन्हीं “कारीगरों” ने कुछ ऐसा ही कारनामा तब भी किया था, जब प्रवासियों की मदद के लिए प्रियंका गांधी ने बसें भेजी थीं। दरअसल, सोमवार को प्रियंका के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर डाली गई पोस्ट में कहा गया था “आगरा में 48 घंटे में भर्ती हुए 28 कोविड-19 मरीजों की मृत्यु हुई है। उत्तर प्रदेश सरकार के लिए यह कितनी शर्म की बात है कि इसी मॉडल का झूठा प्रचार करके सच दबाने की कोशिश की गई। सरकार की ‘नो टेस्ट-नो कोरोना’ की नीति पर सवाल उठे थे लेकिन सरकार ने इसका कोई जवाब नहीं दिया। अगर उत्तर प्रदेश सरकार सच दबाकर कोविड-19 के मामले में इसी तरह लगातार लापरवाही करती रही तो यह बहुत घातक होने वाला है।” हालांकि प्रियंका ने अपने रुख पर कायम रहते हुए मंगलवार को एक और ट्वीट करते हुए मुख्यमंत्री से जनता को स्पष्टीकरण देने को कहा है। ट्वीट में कहा गया है कि आगरा में कोविड-19 मृत्यु दर दिल्ली और मुंबई से ज्यादा है। वहां संक्रमण से होने वालों मौतों का दर 6.8 प्रतिशत है। यहां संक्रमण से मरने वाले 79 मरीजों में से कुल 35 प्रतिशत यानी 28 लोगों की मौत अस्पताल में भर्ती होने के 48 घंटे के अंदर हुई है। उन्होंने कहा “आगरा मॉडल का झूठ फैला कर इन विषम परिस्थितियों में धकेलने के जिम्मेदार कौन लोग हैं? मुख्यमंत्री को 48 घंटे के अंदर जनता को इसका स्पष्टीकरण देना चाहिए और कोविड-19 संक्रमित लोगों की स्थिति और संख्या में की जा रही हेराफेरी पर जवाबदेही तय की जानी चाहिए।” उन्होंने अपने इस दावे के समर्थन में एक अखबार की क्लिप और शासन का एक कथित पत्र भी टैग किया है।
सुरक्षा बलों में कोरोना वायरस के 85 नए मामले
केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) और दो अन्य बलों एनएसजी और एनडीआरएफ में मंगलवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 85 नए मामले सामने आने के साथ ही इन बलों में संक्रमण के मामले 2,900 के आंकड़े को पार कर गए। हालिया आंकड़ों के मुताबिक, इन बलों में कोविड-19 के कारण 23 कर्मियों की मौत हुई है। सीएपीएफ के तहत केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) आते हैं। आंकड़ों के मुताबिक, सीएपीएफ, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) में मंगलवार तक कोविड-19 के कुल 2,981 मामले सामने आए हैं। इसके मुताबिक, सीआरपीएफ में संक्रमण के सबसे अधिक 910 मामले हैं, जिसके बाद बीएसएफ में 791, सीआईएसएफ में 653 और आईटीबीपी में 281 मामले हैं। आंकड़ों के मुताबिक, एनएसजी में कुल 68 जबकि एनडीआरएफ में 152 मामले सामने आ चुके हैं। अब तक 1,810 कर्मी स्वस्थ हो चुके हैं जबकि केवल 1,148 उपचाराधीन हैं। इसके मुताबिक, मंगलवार को इन बलों में संक्रमण के 85 नए मामले सामने आए। इनमें से बीएसफ में 31, सीआईएसएफ में 29, सीआरपीएफ में 15, एनडीआरएफ में छह, आईअीबीपी में तीन और एसएसबी में एक मामला सामने आया। वहीं, 840 से अधिक कर्मियों के जांच नतीजे आना बाकी हैं।
गुजरात में कोविड-19 के 549 नये मामले
गुजरात में मंगलवार को कोविड-19 के 549 नये मामले सामने आये जिससे राज्य में इसके कुल मामले बढ़कर 28,429 हो गए। यह जानकारी राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने दी। वहीं 26 और मरीजों की मौत होने से मृतक संख्या बढ़कर 1,711 हो गई। विभाग ने कहा कि दिन में 604 और मरीजों को ठीक होने के बाद अस्पतालों से छुट्टी दी गई जिससे ठीक होने वाले कुल मरीजों की संख्या बढ़कर 20,521 हो गई। गुजरात में ऐसे मरीजों की संख्या अब 6,197 है जिनका अभी इलाज चल रहा है। इसमें से 62 मरीजों की हालत नाजुक है। गुजरात में अभी तक कुल 3,34,326 नमूनों की जांच की गई है।
निजी अस्पतालों में इलाज की दर तय की
कर्नाटक सरकार ने सरकारी अस्पतालों से निजी अस्पतालों में रेफर किये गए मरीजों के लिए कोरोना वायरस के इलाज की दर मंगलवार को घोषित की जो कि 5,200 रुपये से 10 हजार रुपये के बीच होगी। निजी अस्पतालों से सीधे संपर्क करने वाले रोगियों के लिए दर 10 हजार रुपये से 25,000 रुपये तक होगी। राज्य के मुख्य सचिव टीएम विजय भास्कर ने यह आदेश उस समिति की सिफारिशों के आधार पर दिया जिसका गठन कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए पैकेज की दर तय करने के वास्ते प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए किया गया था। समिति का गठन सुवर्ण आरोग्य सुरक्षा ट्रस्ट के कार्यकारी निदेशक की अध्यक्षता में किया गया था। आदेश के अनुसार, सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राधिकारियों द्वारा रेफर किये गए मरीजों के लिए पैकेज की दर सामान्य वार्ड के लिए 5,200 रुपये, हाई डिपेंडेंसी यूनिट (एचडीयू) के लिए 7,000 रुपये, वेंटिलेटर के बिना पृथकवास के लिए 8,500 रुपये और वेंटीलेटर के साथ पृथकवास के लिए 10,000 रुपये होगी। गैर-बीमा श्रेणी के तहत सीधे निजी अस्पतालों में भर्ती होने वाले और नकद भुगतान करने वाले रोगियों के लिए पैकेज दर सामान्य वार्ड के लिए 10,000 रुपये, एचडीयू के लिए 12,000 रुपये, वेंटीलेटर के बिना पृथकवास के लिए 15,000 रुपये और वेंटीलेटर के साथ पृथकवास के लिए 25,000 रुपये होगी। हालांकि, ये दरें बीमा पैकेज लेने वाले रोगियों और उन रोगियों पर लागू नहीं होंगी जो अस्पताल और कंपनियों के बीच उनके अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए हुए समझौते के तहत अस्पताल में भर्ती होते हैं। वहीं कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने मंगलवार को कहा कि राज्य में कोविड-19 संबंधी मौतें अन्य प्रमुख राज्यों की तुलना में बहुत कम है। उन्होंने साथ ही कोविड-19 से संक्रमित लोगों और कोरोना वारियर्स से अपील की कि वे साहस नहीं छोड़ें। मुख्यमंत्री का यह बयान कर्नाटक राज्य रिजर्व पुलिस के साथ सम्बद्ध एक पुलिस कान्स्टेबल के कोविड-19 से संक्रमित पाये जाने के बाद कथित आत्महत्या के बाद आया है। अभी तक हुई कुल 14,011 मौतों में से, महाराष्ट्र में सबसे अधिक 6,283 लोगों की मौत हुई है, इसके बाद दिल्ली में 2,233, गुजरात में 1,684 और तमिलनाडु में 794 मौतें हुई हैं। येदियुरप्पा ने स्वीकार किया कि पुलिस कोरोना योद्धाओं की अग्रिम पंक्ति बनाती है और पुलिसकर्मी अपना जीवन दांव पर लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके लिए एक विशेष कोविड-19 जांच केंद्र स्थापित किया जा रहा है और संक्रमित लोगों के लिए सर्वोत्तम उपचार प्रदान करने के लिए सभी उपाय किए जाएंगे। 22 जून की शाम तक की स्थिति के अनुसार राज्य में कोविड-19 के कुल 9,399 मामले हैं जिसमें 142 मौतें और ठीक हुए 5,730 मरीज शामिल हैं।
ट्रेन के डिब्बों में पृथक-वास
बंबई उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को यह बताने का निर्देश दिया है कि ट्रेनों के डिब्बों को पृथक-वास केंद्र में बदलने के लिए रेलवे ने क्या कदम उठाए हैं। यह भी बताने को कहा गया है कि क्या इस तरह के डिब्बों में आईसीयू की सुविधा भी उपलब्ध करायी जा सकती है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एमएस कार्णिक की पीठ मुंबई निवासी नरेश कपूर की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए उठाए गए कदमों पर चिंता जतायी है। अदालत ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार एक हलफनामा दाखिल कर ट्रेनों के डिब्बों को पृथक-वास केंद्र में बदलने को लेकर पश्चिमी रेलवे के साथ मध्य रेलवे द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में बताए। यह भी बताना चाहिए कि इन डिब्बों में आईसीयू की सुविधा उपलब्ध कराने पर विचार क्यों नहीं किया गया।’’ पीठ मामले पर अब दो जुलाई को सुनवाई करेगी। याचिकाकर्ता ने विभागीय आदेश या न्यायिक आदेश के कारण बंद अस्पतालों, नर्सिंग होम और स्वास्थ्य केंद्र को फिर से खोलने और रेलवे के डिब्बों को कोविड-19 के मरीजों के लिए अस्थायी आईसीयू में बदलने का निर्देश देने का अनुरोध किया। हालांकि, अदालत ने कहा कि न्यायपालिका के लिए बंद हो चुके नर्सिंग होम और अन्य स्वास्थ्य केंद्र को खोलने के मामले में दखल देना ठीक नहीं होगा।
प्लाज्मा उपचार करने की अनुमति मिली
आईसीएमआर से नयी मंजूरी मिलने के बाद पिछले एक सप्ताह में एलएनजेपी अस्पताल में कोविड-19 के छह मरीजों का प्लाज्मा उपचार किया गया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि कुल 200 मामलों के लिये यह (प्लाज्मा उपचार की) अनुमति मिली है। लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ सुरेश कुमार ने बताया कि मंगलवार को दो मरीजों को यह उपचार दिये जाने का कार्यक्रम है और पांच अन्य का यह पहले ही किया जा चुका है। हाल ही में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने परीक्षण आधार पर प्लाज्मा उपचार की अनुमति दी थी लेकिन तब इसे रोक कर रख लिया गया था। पिछले हफ्ते आईसीएमआर की नयी मंजूरी मिलने के बाद एलएनजेपी अस्पताल और मैक्स हॉस्पिटल, साकेत ने कोविड-19 मरीजों का प्लाज्मा उपचार किया है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन (55) का मैक्स हॉस्पिटल में शनिवार को प्लाज्मा उपचार किया गया, जहां वहा कोविड-19 उपचार के लिये भर्ती हैं। कुमार ने कहा, ‘‘आईसीएमआर के इस उपचार पद्धति के रोके जाने से पहले 20 मरीजों का इसके जरिये उपचार किया गया था। नयी मंजूरी के साथ अब हमें 200 मरीजों के लिये इसकी अनुमति मिली है। पिछले एक सप्ताह में हमने छह मरीजों का इससे उपचार किया है, जबकि 13 मरीजों के लिये शुरूआती कार्यक्रम बनाया गया था।’’ कुमार के मुताबिक प्रत्येक व्यक्ति, जो हाल ही में कोविड-19 से उबरा है, उसमें एंटीबॉडी विकसित हुई है। इसे प्लाजमा के जरिये संक्रमित मरीज के रक्त में भेजा जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘प्रत्येक व्यक्ति 250-500 मिली लीटर (मिली) प्लाज्मा दान कर सकता है। हम मरीज को शुरू में 250 मिली देंगे और जरूरत पड़ने पर 24 घंटे के बाद और 250 मिली देंगे।’’ उन्होंने यह भी कहा कि प्लाज्मा दान करने वाला व्यक्ति किसी बीमारी से पीड़ित नहीं हो। साथ ही, वह एचआईवी या हेपटाइटिस या किडनी की समस्या से भी ग्रसित ना हो। कुमार ने बताया कि इस अस्पताल से अब तक 2,300 मरीज संक्रमण मुक्त हो चुके हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम संक्रमण मुक्त हो चुके लोगों को प्लाज्मा दान करने की सलाह दे रहे हैं।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या इस उपचार पद्धति से अब तक सिर्फ दिल्ली के निवासी ही लाभान्वित हुए हैं, उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों के अलावा अर्द्ध सैनिक बलों के कुछ जवानों का भी उपचार किया गया है। प्लाज्मा उपचार के दुष्प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हजार में एक मामले में कुछ एलर्जी दिख सकती है, लेकिन यह भी दुर्लभ है। दिल्ली स्वास्थ्य विभाग की सोमवार की बुलेटिन के मुताबिक दिल्ली में कोविड- 19 के अब तक कुल 62,000 मामले सामने आये हैं जबकि 2,233 लोगों की इस महामारी से मौत हुई है।
मास्क और मेकअप
लिपस्टिक ऑन योर कॉलर टोल्ड ए टेल ऑन यू….प्रेम और बेवफाई को बयां करने वाला यह सदाबहार गाना महामारी काल में शायद सटीक नही बैठता है क्योंकि फिलहाल तो कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए मास्क छाया हुआ है और लिपस्टिक एक तरह से फैशन से बाहर है। देश धीरे-धीरे अप्रत्याशित बंद से बाहर आ रहा है। बंद की शुरुआत 25 मार्च से हुई थी। अब बंद खत्म होने के बाद लड़कियों और महिलाओं ने आलमारियों में बंद कपड़े और मेकअप का सामान बाहर निकालना तो शुरू किया लेकिन चेहरे पर मास्क के कब्जे की वजह से, लिपस्टिक अपना पुराना स्थान हासिल नहीं कर सकी। कोरोना वायरस से बचाव के लिए लगाया जा रहा मास्क चेहरे का बड़ा हिस्सा ढक लेता है। बंद में रियायतें मिलने के बाद फातिहा तैयबा जब घर से पहली बार बाहर निकलीं तो मेकअप के दौरान उन्होंने लिपस्टिक भी उठाई। लेकिन अनिवार्य तौर पर मास्क लगाने की वजह से शुरू में उन्हें लिपस्टिक लगाना सही नहीं लगा। गुड़गांव की 25 वर्षीय इस स्टाइलिस्ट ने कहा, ”मास्क में ऐसे कपड़े होते हैं जो झुंझलाहट पैदा करते हैं। वह लगातार चेहरे से चिपके होते हैं और बार-बार कपड़े ओंठ से सट जाते हैं।’’ हालांकि तैयबा कोरोना वायरस महामारी की वजह से खुद के फैशन में बदलाव नहीं करना चाहती थीं और उन्होंने मैट लिप कलर का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। ऑनलाइन खरीदारी पोर्टल स्नैपडील की एक प्रवक्ता ने बताया कि सामान्य के मुकाबले पिछले दो महीने में लिपस्टिक की बिक्री घटी है। ज्यादातर उत्पादनकर्ताओं ने पास सटीक आंकड़े तो नहीं हैं लेकिन यह स्पष्ट है कि लिपस्टिक का चलन घटा है। भारत में ‘लॉरियाल पेरिस’ में ट्रेनर और मेकअप कलाकार स्टैफोर्ड बर्गंजा ने कहा कि ऐसा मास्क जब तक नहीं आ जाता जिससे चेहरा दिख सके, तब तक आंखें ही जरिया हैं। भारत में सौंदर्य प्रसाधनों से जुड़े सामान की बिक्री करने वाली कंपनी ‘नायका’ का दावा है कि बंद के दौरान आंखों के मेकअप के लिए इस्तेमाल होने वाले ’आइशैडो’ उनके ‘टॉप 5’ से अब ‘टॉप तीन’ में पहुंच गया है। वहीं वेस्टसाइड स्टोर चेन के कॉस्मेटिक्स प्रमुख उमाशन नायडू ने कहा कि आंखों का मेकअप निश्चित तौर पर बढ़ने जा रहा है और सभी सौंदर्य ब्रांडों का जोर आखों वाले मेकअप के कारोबार पर होगा। हालांकि मेकअप बिरादरी में से कुछ का कहना है कि मास्क ने लिपस्टिक के जलवे को खत्म नहीं किया है बल्कि इस उद्योग को और अधिक रचनात्मक होने के अवसर दिए हैं। नायडू ने कहा कि लिपस्टिक ने ऐसे कई ‘युद्ध’ झेले हैं और फिर भी वह अपने आपको बचाने में सफल रही। वह खुद को विस्तार देते हुए आगे बढ़ती गई और मौजूदा समय में भी यही होगा। नायका की एक प्रवक्ता ने कहा कि ‘‘लिपस्टिक, मेकअप मुखिया का अपना दर्जा एक बार फिर हासिल करेगी।’’
तमिलनाडु में 2500 और मरीज
तमिलनाडु में कोरोना वायरस से मंगलवार को 2516 और लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हुई तथा 39 मरीजों की संक्रमण के कारण मौत हो गई है। इसके बाद प्रदेश में कोरोना वायरस के मामले बढ़कर 64,603 हो गए हैं जबकि मृतकों का आंकड़ा 833 पर पहुंच गया है। स्वास्थ्य विभाग के बुलेटिन में बताया गया है कि इन मरीजों में सबसे ज्यादा 1380 चेन्नई के हैं। इसके बाद चेंगलपेट जिले के 146, तिरूवल्लुर के 156 और कांचीपुरम के 59 मरीज हैं। यह लगातार सातवां दिन है जब प्रदेश में दो हजार से ज्यादा मामले आए हैं और तीसरे दिन 2500 से अधिक मामले रिपोर्ट हुए हैं। प्रदेश में फिलहाल 28,428 मरीज संक्रमण का इलाज करा रहे हैं। राजधानी चेन्नई में कुल मामले 44,205 हैं। बुलेटिन में बताया गया है कि मृतकों में 43 साल की महिला और 45 वर्षीय पुरुष शामिल हैं। 36 मृतकों को पहले से कोई दूसरी बीमारी भी थी।
पंजाब ने रेस्त्रां में बैठकर खाने की अनुमति दी
पंजाब सरकार ने आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के तहत मंगलवार को होटल, रेस्त्रां और बारातघरों को 50 फीसदी क्षमता के साथ दोबारा संचालन की अनुमति दे दी। हालांकि, इस दौरान सामाजिक दूरी के नियमों और अन्य स्वास्थ्य सुरक्षा संबंधी नियमों का सख्ती से पालन करना होगा। ताजा दिशा-निर्देशों के मुताबिक, राज्य के रेस्त्रां में रात आठ बजे तक बैठकर खाना खाने की अनुमति दी गई है। हालांकि, 50 फीसदी क्षमता अथवा 50 मेहमान (जो भी कम हो) के साथ ही यह मंजूरी दी गई है। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को ट्वीट किया, ‘उद्योगों की चिंता और गृह मंत्रालय के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए हमने होटल, रेस्त्रां, बारातघर और अन्य आतिथ्य सेवाओं को 50 फीसदी क्षमता के साथ दोबारा खोलने का फैसला किया है। हालांकि, प्रतिष्ठानों को सभी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) और सावधानियों का पालन करना होगा।’ राज्य ने लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील देते हुए एक जून से इन गतिविधियों को बेहद सीमित क्षमता के साथ संचालन की अनुमति दी थी। दिशा-निर्देशों के मुताबिक, होटल में स्थित रेस्त्रां में 50 फीसदी क्षमता अथवा 50 मेहमानों को (जो भी कम हो) भोजन उपलब्ध कराने की अनुमति रहेगी। इसके मुताबिक, होटल के मेहमानों के अलावा रेस्त्रां बाहरी लोगों के लिए भी रात आठ बजे तक खोला जा सकेगा। हालांकि, बार बंद रहेंगे लेकिन राज्य की आबकारी नीति के तहत रेस्त्रां और कमरों में शराब उपलब्ध करायी जा सकेगी।
शव 20 घंटे पड़ा रहा घर के सामने
कानपुर शहर के बिधनू थानाक्षेत्र स्थित पहाड़पुर गांव में खांसी और बुखार से पीड़ित एक व्यक्ति की मौत होने के बाद उसका शव करीब 20 घंटे तक उसके घर के सामने पड़ा रहा। सोमवार को जान गंवाने वाले इस व्यक्ति के पड़ोसियों को शक था कि यह व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित था। मृतक के चचेरे भाई का आरोप है कि शव घर के बाहर पड़ा देख पड़ोसियों ने नियंत्रण कक्ष को सूचना दी लेकिन मौके पर पहुंची पुलिस शव दूर से देख कर वापस लौट गयी। उसने बताया कि इसके बाद उन्होंने स्वास्थ्य विभाग और मुख्य चिकित्सा अधिकारी को सूचित किया लेकिन कोई मदद नहीं मिली। अंतत: मंगलवार की सुबह ग्रामीणों ने पुलिस के साथ मिलकर लोडर की व्यवस्था की और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। पुलिस के अनुसार, मृतक पहाड़पुर का रहने वाला था। करीब 50 वर्षीय यह व्यक्ति अविवाहित था। पड़ोसियों ने बताया उसे कई दिनों से खांसी और बुखार था। सोमवार को दोपहर में वह घर के सामने खांसते-खांसते गिरा और उसकी मौत हो गयी। पड़ोसियों को शक था कि वह व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित था, लिहाजा उन्होंने नियंत्रण कक्ष और एंबुलेंस को फोन किया। सूचना पर पुलिस पहुंची थी। मृतक के चचेरे भाई ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी अशोक कुमार शुक्ला पर कोई मदद नहीं करने का आरोप लगाया। शुक्ला ने बताया कि उन्होंने एंबुलेंस और स्वास्थ्य विभाग को टीम भेजने के लिए कहा था ‘‘लेकिन वे क्यों नहीं पहुंचे, इसकी जांच करायी जाएगी।’’ इस बीच बिधनू थाना प्रभारी पुष्पराज सिंह ने बताया कि मृतक के शव को मंगलवार सुबह पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।
ब्रिटेन में चार जुलाई से दी जाएगी बड़ी ढील
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने देश में चार जुलाई से लॉकडाउन में बड़ी ढील देने की मंगलवार को घोषणा की। पाबंदी में छूट के तहत नियमों का पालन करते हुए सिनेमा हॉल, संग्रहालय, बार, पब और रेस्तरां को जनता के लिए फिर से खोलने की अनुमति होगी। ब्रिटेन में 23 मार्च से ही लॉकडाउन लागू है। तीन महीने बाद पाबंदी में ढील के तहत इन स्थानों को सरकारी दिशा-निर्देश का पालन करते हुए काम करना होगा। ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में जॉनसन ने कहा, ‘‘लंबे समय से देश में ठप गतिविधियों की फिर से शुरुआत होने वाली है। नए तरीके से सावधानी से कदम बढ़ाना होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सरकार खोले जाने वाले हर क्षेत्र के लिए दिशा-निर्देश प्रकाशित करेगी ताकि कारोबार फिर से बहाल हो तथा लोग काम पर लौट सकें।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन वायरस गया नहीं है…अचानक से बढ़ोतरी हो सकती है, जिसके लिए स्थानीय स्तर पर उपायों की जरूरत होगी। हम राष्ट्रीय स्तर पर भी पाबंदी को फिर से लागू करने पर नहीं हिचकिचाएंगे।’’ इससे पहले, थिएटर सहित अन्य कारोबारों को चार जुलाई से खोलने के फैसले पर मुहर लगाने के लिए मंगलवार को मंत्रिमंडल की बैठक हुई। कोविड-19 रणनीतिक समूह ने सामाजिक दूरी के तौर पर लोगों के बीच दो मीटर की दूरी बनाए रखने के नियमों की हिमायत की थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि चार जुलाई से लोगों को सामाजिक दूरी के तौर पर एक मीटर की दूरी बनाकर रखना होगा। सरकार के भीतर से ही कुछ मंत्री और आतिथ्य सेवा क्षेत्र के लोग दो मीटर दूरी के नियमों में ढील देने पर जोर दे रहे थे। कई लोगों का कहना था कि मौजूदा नियमों के तहत कारेाबार करना असंभव होगा। जॉनसन ने कहा कि जहां पर दो मीटर की दूरी बनाए रखना संभव नहीं होगा, वहां पर लोगों को सलाह दी जाती है कि आपस में एक मीटर की दूरी बनाकर रखेंगे। चार जुलाई से दो मकानों के लोग कहीं भी बैठक- मुलाकात कर सकते हैं लेकिन कई आवासों के लोग कहीं भी इमारत के भीतर एक जगह जमा नहीं होंगे। नयी घोषणा के साथ धार्मिक स्थान भी खुल जाएंगे और अधिकतम 30 लोगों की मौजूदगी के साथ शादी के कार्यक्रम हो सकेंगे। हालांकि नाइट क्लब, स्विमिंग पूल, स्पा नहीं खुलेंगे। विपक्षी लेबर पार्टी के नेता केर स्टारमर ने प्रधानमंत्री के बयान का स्वागत किया लेकिन जांच, संक्रमित मरीज के संपर्क का पता लगाने पर और विस्तृत जानकारी की मांग की। ब्रिटेन में सोमवार को संक्रमण से 15 लोगों की मौत हुई जिसके बाद स्वास्थ्य मंत्री मैट हैंकॉक ने कहा कि देश में महामारी का प्रकोप कम हो रहा है। ब्रिटेन में कोविड-19 से अब तक 42,647 लोगों की मौत हुई है।
हजार के करीब लोग ही करेंगे हज
सऊदी अरब ने मंगलवार को कहा कि कोरोना वायरस की वजह से इस साल कुछ हजार मुस्लिम ही हज कर पाएंगे। आम तौर पर दुनिया भर के 25 लाख लोग हज करते हैं। सऊदी के हज मंत्री मोहम्मद बेंतेन ने कहा कि सामाजिक दूरी का पालन और भीड़ नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए कम और बहुत सीमित संख्या में लोगों को हज करने की अनुमति दी जाएगी। देश में ही रहने वाले करीब एक हजार लोग को इजाजत होगी। मंत्री ने ऑनलाइन पत्रकार वार्ता में कहा, ”इंशा अल्लाह (अल्लाह चाहेंगे तो) संख्या हजार में होगी। हम इसकी समीक्षा करने की प्रक्रिया में हैं। यह संख्या एक हजार से कम या थोड़ी ज्यादा हो सकती है।” हज को इस साल सीमित करने के फैसले की पहले से उम्मीद की जा रही थी। सऊदी अरब सरकार ने अपना यह फैसला हज शुरू होने से पांच हफ्ते पहले बताया है। इसका समय हज को लेकर अहम फैसलों के बारे में संवेदनशीलता को इंगित करता है जो दुनिया भर के मुसलमानों को प्रभावित करते हैं। बेंतेन ने कहा, ”यह बहुत संवेदनशील काम है और हम स्वास्थ्य मंत्रालय में विशेषज्ञों के साथ काम कर रहे हैं।” उन्होंने हज यात्रियों की जिदंगी और सेहत बचाने पर जोर दिया। सऊदी अरब के अधिकारियों ने बताया कि पाबंदियों के तहत, 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को हज की इजाजत नहीं होगी और हज यात्री और उनकी सहायता करने वाले को हज से पहले और बाद में पृथकवास में रहना होगा। सऊदी अरब ने सोमवार देर रात कहा कि इस साल मक्का में सीमित संख्या में लोगों को हज की अनुमति होगी। कुछ देशवासियों के अलावा पहले से ही देश में मौजूद अलग अलग देशों के कुछ लोगों को हज के लिए अनुमति दी जाएगी। इस साल हज जुलाई के आखिर में शुरू होगा। यह फैसला उन लोगों के लिए झ़टका है जो हज करने के लिए पैसा जमा करते हैं और पूरे साल इंतजार करते हैं। हज सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं है जो मुसलमान को जिंदगी में कम से कम बार करनी चाहिए, बल्कि यह व्यक्ति को गुनाहों से माफी का मौका भी देता है और अलग अलग तबकों के लोगों को आपस में जोड़ता है। इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मौलाना खालिद रशीद ने कहा, ”हर मुसलमान की तमन्ना हज करने की होती है, लेकिन कोविड-19 के कारण इस साल यह मुमकिन नहीं है।” रशीद ने कहा कि इसके लिए चीन जिम्मेदार है। अगर चीन कोरोना वायरस के बारे में दुनिया को पहले बता देता तो दुनिया अलग तरह से प्रतिक्रिया देती। उन्होंने कहा कि भारत से एक प्रतिनिधिमंडल को हज पर जाने की इजाजत दी जानी चाहिए। आम तौर पर हज के लिए दुनियाभर से करीब 25 लाख लोग जुटते हैं। हर देश का उसकी मुस्लिम आबादी के हिसाब से हज यात्री भेजने का कोटा तय होता है। सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले इंडोनेशिया से 221,000 हज यात्री सऊदी अरब जाते हैं। बहरहाल, पश्चिम एशिया में कोरोना वायरस के सबसे ज्यादा मामले सऊदी अरब में हैं, जहां 161,000 लोग अब तक इस खतरनाक वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और 1,307 लोगों की मौत हो चुकी है। साल 1979 में मस्जिद-अल हराम (खाना-ए-काबा) को तब बंद किया गया था, जब इस्लाम में सबसे पवित्र स्थल में धार्मिक चरमपंथी घुस गए थे। हजारों लोग अंदर फंस गए थे और दो हफ्ते तक चली घेराबंदी में कई लोगों की मौत हुई थी।
40 प्रतिशत देश छात्रों की सहायता करने में विफल
यूनेस्को की वैश्विक शिक्षा निगरानी (जीईएम) रिपोर्ट 2020 के अनुसार विश्व में अल्प और मध्यम आय वाले कम से कम चालीस प्रतिशत देश कोविड-19 से उपजे संकट के कारण लागू लॉकडाउन में स्कूल बंद रहने के दौरान छात्रों को पढ़ने का उचित माध्यम उपलब्ध कराने में नाकाम रहे। मंगलवार को जारी वार्षिक रिपोर्ट के चौथे संस्करण में यह भी कहा गया कि विश्व भर में दस प्रतिशत से भी कम देशों में ऐसे कानून हैं जो शिक्षा में पूर्ण समावेश सुनिश्चित करते हैं। जीईएम रिपोर्ट के निदेशक मनोस अंतोनिनिस ने कहा, “कोविड-19 ने हमें अपनी शिक्षा व्यवस्था के बारे में फिर से सोचने का अवसर दिया है। लेकिन विविधता का स्वागत करने वाली और उसका मोल समझने वाली दुनिया में हम रातोंरात नहीं पहुंच सकते। सभी बच्चों को एक ही छत के नीचे पढ़ाने और ऐसा वातावरण विकसित करने में अंतर है जहां बच्चा अच्छे से पढ़ सके। लेकिन कोविड-19 ने हमें सिखाया है कि यदि हम सोचें तो चीजों को अलग तरह से भी किया जा सकता है।” रिपोर्ट में कहा गया कि शिक्षा व्यवस्था अमूमन छात्रों की विशेष जरूरतों को पूरा करने में असफल रहती है। रिपोर्ट में कहा गया, “विश्व के केवल 41 देशों में आधिकारिक रूप से सांकेतिक भाषा को मान्यता दी गई है और दुनियाभर के स्कूल इंटरनेट की सुविधा के अधिक आग्रही हैं बजाय इसके कि वे विकलांग छात्रों को सीखने का माध्यम उपलब्ध करा सकें। साढ़े तैंतीस करोड़ लड़कियां ऐसे स्कूलों में गईं जहां उन्हें पानी, साफ सफाई उपलब्ध नहीं था।” जीईएम रिपोर्ट एक स्वतंत्र दल द्वारा तैयार की गई है और इसे यूनेस्को ने प्रकाशित किया है। रिपोर्ट में कहा गया, “कम और मध्यम आय वाले लगभग आधे देशों ने विकलांग बच्चों की शिक्षा के बारे में पर्याप्त आंकड़े एकत्रित नहीं किए।” यूनेस्को के आंकड़ों के अनुसार कोविड-19 फैलने की वजह से बंद किए गए शैक्षणिक संस्थानों के कारण 154 करोड़ छात्र गंभीर रूप से प्रभावित हुए।
दूरसंचार कंपनियों ने सतर्कता बढ़ाई
दूरसंचार कंपनियों ने सरकार की हालिया चेतावनी के बाद नेटवर्क और सिस्टम की सतर्कता बढ़ा दी है। सरकार ने आगाह किया था कि आने वाले दिनों में साइबर हमलावर कोविड-19 के बहाने लोगों और कारोबारियों को बड़े पैमाने पर निशाना बना सकते हैं। एयरटेल ने एक सुरक्षा परामर्श में कहा है कि लगातार निगरानी कर रही है और अगले 5-7 दिनों के लिए सुरक्षा संचालन केंद्र को उच्च जोखिम की स्थिति के लिए तैयार किया गया है। एयरटेल ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण ज्यादातर कर्मचारी घर से काम कर रहे हैं, और इस कारण जोखिम बढ़ गया है, खासतौर से फिशिंग हमलों को लेकर। एयरटेल ने अपने ग्राहकों से संभावित हमले से बचने के लिए सभी जरूरी सुरक्षा उपाए करने के लिए कहा है। कंपनी ने कहा, ‘‘इन हमलों से न सिर्फ महत्वपूर्ण कारोबारी गतिविधियों के बाधित होने का जोखिम है, बल्कि आपके ब्रांड की प्रतिष्ठा भी प्रभावित हो सकती है… इन खतरों से बचने के लिए संगठनों को अपने साइबर ढांचे को मजबूत बनाने की जरूरत है।’’ विभिन्न रिपोर्टों का हवाला देते हुए एयरटेल ने चेतावनी दी कि ई-मेल, फिशिंग हमले, संदिग्ध वेबपेज, इंटरनेट लिंक, नेटवर्क से जुड़े अन-अपडेटेड सिस्टम और आईडी चोरी के जरिए साइबर हमले शुरू किए जा सकते हैं। कंपनी ने सुझाव दिया है कि घर से काम करने वाले सभी कर्मचारियों को एंटी-वायरस और अन्य सॉफ्टवेयर पैच अपडेट करने की सलाह दी जाए, और उन्हें नियमित अंतराल पर इस बारे में जागरूकता किया जाए। संपर्क करने पर वोडाफोन आइडिया के एक प्रवक्ता और रिलायंस जियो के एक सूत्र ने कहा कि सतर्कता के स्तर को बढ़ा दिया है। पिछले सप्ताह भारत की साइबरसुरक्षा की नोडल एजेंसी सीईआरटी-इन ने संभावित फिशिंग हमले की चेतावनी जारी की थी।