fbpx

आजादी के 73 बसंत बाद भी हमें कई समस्याओं पर विजय हासिल करनी है

15 अगस्त का भाषण ना सिर्फ हमारी देश की वर्तमान स्थिति को बतलाता है बल्कि भविष्य में हम किस दिशा की ओर बढ़ेंगे इसकी भी रूपरेखा तय करता है। हमारी विदेश नीति हो या कूटनीति या फिर राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला हो, तमाम मुद्दों पर प्रधानमंत्री देश के सामने अपनी बात रखते हैं।

Like, Share and Subscribe

जब देश आजादी का अपना 74वां वर्षगांठ मना रहा है तो ऐसे में हमें यह सोचने की जरूरत है कि इतने वर्षों में हमने क्या खोया है और क्या पाया है? जब 15 अगस्त 1947 को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले से राष्ट्रीय तिरंगा लहराया होगा तब की स्थिति और वर्तमान की स्थिति में कितना फर्क आया है। हमें यह भी देखना होगा कि हमने विकास की रफ्तार को कितनी तेज रखी है। 1947 से लेकर अब तक के हर 15 अगस्त को जब देश के प्रधानमंत्री लाल किले से राष्ट्र को संबोधित करते हैं तो वह देश के भविष्य की दिशा को तय करता है। इस बार भी यही देखने को मिलेगा।

15 अगस्त का भाषण ना सिर्फ हमारी देश की वर्तमान स्थिति को बतलाता है बल्कि भविष्य में हम किस दिशा की ओर बढ़ेंगे इसकी भी रूपरेखा तय करता है। हमारी विदेश नीति हो या कूटनीति या फिर राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला हो, तमाम मुद्दों पर प्रधानमंत्री देश के सामने अपनी बात रखते हैं। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री देशवासियों को देश की तमाम समस्याओं के निवारण करने का भी आश्वासन देते हैं। आजादी के इन 73 वर्षों में हमने कई विपत्तियों का सामना किया है, कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं तो कई दफा हमने विश्व को आश्चर्यचकित भी किया है। आज भारत विश्व का सबसे युवा देश है। यही कारण है कि तमाम बड़े देश भारत को उम्मीद भरी निगाहों से देखते हैं। आज विश्व के विकसित देशों को भी यह पता है कि भारत के बगैर उनकी अर्थव्यवस्था नहीं चल पाएगी। इतना ही नहीं अगर अमेरिका, चीन, फ्रांस आर्थिक शक्ति है तो इसमें भारत का बहुत बड़ा योगदान कहा जा सकता है।

एक बार जब संयुक्त राष्ट्र में सुषमा स्वराज संबोधित कर रही थीं तो उन्होंने भारत के दम को बतलाते हुए कहा था कि हमने आईआईटी, आईआईएम बनाए हैं, हमने एम्स जैसी विश्वस्तरीय अस्पताल बनाए हैं, हमने स्पेस में इंटरनेशनल संस्थाएं बनाई है। सुषमा स्वराज ने यह बातें पाकिस्तान को आईना दिखाने के लिए कही थी लेकिन इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि भारत ने पिछले 73 सालों में कई ऐसे काम किए हैं जो आज भी मिसाल है। देश के स्कॉलर, साइंटिस्ट और इंजीनियर्स दूसरे देशों को भी विकसित बनने में मदद करते हैं। जो सपने आजादी के वक्त पंडित जवाहरलाल नेहरू ने देखे होंगे, शायद आज हम उसी दिशा में बढ़ रहे है। हम वही देश बनाना चाहते है जो कभी सोने की चिड़िया के नाम से मशहूर था।

देश में अब तक जितने भी प्रधानमंत्री रहे, सभी का भारत के विकास में सभी का योगदान रहा है। पंचवर्षीय योजना के तहत विकास कार्य किया गया हो या फिर नीति आयोग के जरिए। सड़क, बिजली, पानी के क्षेत्र में देश कई उपलब्धियों को हासिल कर चुका है। आजादी के बाद हुए युद्ध में भी देश ने अपने पराक्रम का प्रदर्शन किया। हमारे देश के सैन्य शक्ति की भी परीक्षा समय समय पर होती रही है जिसमें हमने बाजी मारी है। पड़ोसी देशों के जरिए देश में बढ़ाए जा रहे आतंकवाद के खिलाफ मुकाबला भी हम डट कर कर रहे है। पर ऐसा नहीं है कि देश समस्या मुक्त हो गया है। यहां भी नहीं है कि हम विकास की श्रेणी में उच्चतम स्तर की कैटेगरी में आ गए है। अभी हमें कई पत्थरों को पार कर मंजिलों की ओर बढ़ना है।

वर्तमान परिदृश्य में देखें तो हमारा देश बेरोजगारी, अर्थव्यवस्था के मामले में बेहद संकट की स्थिति में है। देश के युवा बेरोजगार है। हमारी अर्थव्यवस्था की गति सुस्त पड़ी हुई है और कोरोनावायरस ने इसे और भी सुस्त कर दिया है। भले ही आजादी के बाद से ही हमने गरीबी हटाओ के नारे तो सुने हैं पर आज भी गरीबी हमें देखने को मिल जाती है। सभी लोगों को उच्च शिक्षा प्रदान करने में आज भी कई सरकारें विफल साबित हुई है। देश की रीढ़ कहीं जाने वाली कृषि व्यवस्था भी आज त्राहिमाम पर है। किसानों की ऐसी कई समस्याएं हैं जिस को सुलझाना जरूरी है। बढ़ती जनसंख्या भी हमारे देश के लिए एक बड़ी समस्या है। इसे रोकने के बाद ही हम किसी करिश्मा की तरफ बढ़ सकेंगे।

आजादी के बाद सन् 1950 में एक नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए हम लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल हुए। आज हम विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र देश है। फिर भी ऐसी कई समस्याएं हैं जिससे हमारा देश ग्रसित है। अभी भी सभी को अपने हक के बारे में जानकारी नहीं है। जात-पात-धर्म के नाम पर देश बढ़ जाता है। कानूनी प्रक्रियाएं काफी सुस्त मालूम पड़ती है जिसे सुधारने की जरूरत है। सरकारी तंत्र भ्रष्टाचार में लिप्त है। इससे आम लोगों को काफी मुश्किलें आती है। लोगों को समान हक, समान अधिकार दिलाना हमारे देश के संविधान का मूल मंत्र है। ऐसे में इसे लोगों तक पहुंचाना वर्तमान में सबसे बड़ी जरूरत है। देश में ऐसे कई रूढ़िवादी चीजें देखने को मिलती है जो हमें पीछे की ओर ले जाती हैं। इसे भी हमें दुरुस्त करने की जरूरत है। बाल श्रम, कुपोषण आज भी हमें हर तरफ देखने को मिल जाती है। ग्रामीण भारत का पिछड़ापन हमारे मुंह पर तमाचा जड़ता है। तमाम समस्याओं को दूर कर ही हम लोकतंत्र के अर्थ को सही साबित कर सकते है। इन तमाम समस्याओं को सुलझाने के बाद ही हम अपने देश को चांद तारों से सजा सातवें आसमान पर स्थापित कर सकते है।

  • अंकित सिंह
Like, Share and Subscribe

Leave a Reply

Your email address will not be published.Required fields are marked *