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भारतीय रुपये में आई जोरदार मज़बूती, सरकार के साथ-साथ आम आदमी को मिलेगी बड़ी राहत

कोरोना संकट काल के बीच दुनियाभर की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका की करेंसी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में जोरदार तेजी आई है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पिछले एक हफ्ते में ये एक फीसदी से ज्यादा मज़बूत हुआ है।

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कोरोना संकट काल के बीच दुनियाभर की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका की करेंसी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में जोरदार तेजी आई है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पिछले एक हफ्ते में ये एक फीसदी से ज्यादा मज़बूत हुआ है। आपको बता दें कि भारतीय रुपये की मजबूती का सीधा असर पेट्रोल-डीज़ल की कीमत पर होता है। क्योंकि भारत अपनी जरुरत का 80 फीसदी विदेश से खरीदता है। ऐसे में भारतीय तेल कंपनियों को विदेश से कच्चा तेल खरीदने के लिए कम डॉलर खर्च करने होंगे। लिहाजा इसका फायदा घरेलू ग्राहकों को भी मिलेगा।

क्यों आई रुपये में मज़बूती- एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों ने जमकर पैसा लगाया है। इसका असर ही भारतीय रुपये पर दिख रहा है। जून के पहले दो दिन में ही विदेशी निवेशकों ने कुल 9,073.75 करोड़ रुपये का निवेश किया है। वहीं, मई महीने में कुल 13,914.49 करोड़ रुपये भारतीय शेयर बाजार में डाले. जबकि, जनवरी में 5359 करोड़ रुपये, फरवरी में 12,684 करोड़ रुपये, मार्च में 65816 करोड़ रुपये और अप्रैल महीने में 5208 करोड़ रुपये शेयर बाजार से निकाले थे।

क्या आगे भी रुपये में मज़बूती आएगी- एक्सपर्ट्स का कहना है कि मौजूदा समय में रुपया और मज़बूत हो सकता है।
इसके 74.80 रुपये प्रति डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।

आम आदमी पर क्या होगा असर

  1. भारत अपनी जरूरत का करीब 80 फीसदी पेट्रोलियम प्रोडक्‍ट आयात करता है।
  2. रुपये में मजबूती से पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का आयात सस्ता हो जाएगा।
  3. तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल की घरेलू कीमतों में कमी कर सकती हैं।
  4. डीजल के दाम गिरने से माल ढुलाई बढ़ जाएगी, जिसके चलते महंगाई में कमी आ सकती है।
  5. इसके अलावा, भारत बड़े पैमाने पर खाद्य तेलों और दालों का भी आयात करता है।
  6. रुपये के मजबूत होने से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों और दालों की कीमतें घट सकती हैं।

कैसे मजबूत और कमजोर होता है भारतीय रुपया

रुपये की कीमत पूरी तरह डिमांड एवं सप्लाई पर निर्भर करती है। इस पर इंपोर्ट और एक्सपोर्ट का भी असर पड़ता है। हर देश के पास दूसरे देशों की मुद्रा का भंडार होता है, जिससे वे लेनदेन यानी सौदा (आयात-निर्यात) करते हैं। इसे विदेशी मुद्रा भंडार कहते हैं। समय-समय पर इसके आंकड़े रिजर्व बैंक की तरफ से जारी होते हैं।

अगर आसान शब्दों में समझें तो मान लीजिए भारत अमेरिका से कुछ कारोबार कर रहा हैं। अमेरिका के पास 67,000 रुपये हैं और हमारे पास 1000 डॉलर। अगर आज डॉलर का भाव 67 रुपये है तो दोनों के पास फिलहाल बराबर रकम है। अब अगर हमें अमेरिका से भारत में कोई ऐसी चीज मंगानी है, जिसका भाव हमारी करेंसी के हिसाब से 6,700 रुपये है तो हमें इसके लिए 100 डॉलर चुकाने होंगे।

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