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Analysis

सिर्फ लॉकडाउन लगा कर नहीं जीती जा सकती कोरोना से लड़ाई

कोरोना के नए दौर को देखते हुए महाराष्ट्र में कई स्थानों पर लाकडाउन लगाया गया है तो राजस्थान सहित देश की कई राज्य सरकारों ने सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं मॉनिटरिंग कर रहे हैं तो राज्यों की सरकारें भी गंभीर हुई हैं।

कार्बन उत्सर्जन कम काना है तो इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना होगा

विद्युत वाहनों के उपयोग के यदि फ़ायदे हैं तो इसकी कुछ सीमाएं भी हैं, यथा अभी देश में पर्याप्त मात्रा में चार्जिंग प्वॉइंट उपलब्ध नहीं हैं। हालांकि इनका निर्माण बड़ी तेजी के साथ किया जा रहा है, परंतु पूरी संरचना को खड़ा करने में अभी समय लगेगा।

कभी सोचा है ? जीवन में सबकुछ होने के बावजूद मन क्यों व्यथित रहता है ?

‘मूड-ऑफ’ की बात मम्मी-पापा ही नहीं, छोटे-छोटे बच्चों में देखने को मिलती है। जब तक मन को प्रशिक्षित, संतुलित और अनुशासित बनाने की दिशा में मानव समाज जागरूक नहीं होगा, तब तक बौद्धिक और आर्थिक समृद्धि भी तलवार की धार बन सकती है।

कुछ लोगों की लापरवाही के कारण , है देश में कोरोना की दूसरी लहर

प्रधानमंत्री ने जनता का मनोबल सुदृढ़ करते हुए कोरोना रूपी अंधेरे को कोसने की बजाय हमें अपने दायित्व की मोमबत्ती जलाने की प्रेरणा दी है। उन्होंने सही कहा है कि घबराने की जरूरत नहीं है, बस हमें ‘कड़ाई भी और दवाई भी’ की नीति पर काम करना है।

भारत को कैसे मिलेगा टी-20 वर्ल्ड कप जीत का फार्मूला

इंग्लैंड के खिलाफ मौजूदा सीरीज के पहले मैच पर नजर डाली जाए तो वहां भारतीय टीम ने रोहित शर्मा को आराम दिया और शिखर धवन के साथ केएल राहुल की जोड़ी को मैदान में उतारा। इसके साथ ही अक्षर पटेल को टी-20 सीरीज के पहले मैच में मौका मिला।

बाते आम आदमी की और आंदोलन फाइव स्टार श्रेणी का

पहले सामाजिक नेताओं की हुंकार पर लोग सड़क पर आ जाते थे, लेकिन इनके दामन पर किसी तरह का कोई दाग नहीं लगा। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में आंदोंलन का स्वरूप ही बदल गया है। अब आंदोलन के आसपास का नजारा ‘पिकनिक स्पॉट’ और फाइव स्टार होटलों जैसा नजर आता है।

कोरोना ने शिक्षा जगत में चुनौती के साथ कई नये अवसर भी प्रदान किये

कोरोना काल का यह समय हमारी युवा पीढ़ी में सकारात्मक बदलाव के उस दौर का साक्षी बना कि जब यूट्यूब पर फिल्मी, नॉन फिल्मी गानों की बजाए एजुकेशनल वीडियो ट्रेंड करने लगे और यूट्यूब ने शिक्षा के लेटेस्ट प्लेटफार्म का रूप ले लिया।

हर हिंदुस्तानी हर साल 50 किलो खाना बर्बाद करता है

संयुक्त राष्ट्र की ओर से जारी रिपोर्ट में खाने की बर्बादी को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। संयुक्त राष्ट्र की ओर से तैयार खाने की बर्बादी की सूचकांक की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में 93 करोड़ 10 लाख टन खाना बर्बाद हो गया। जो कुल उपलब्ध खाने का 17 प्रतिशत है।

महिला सशक्तिकरण की बातें ही ज्यादा होती हैं

वर्तमान दौर में महिलाओं ने अपनी ताकत को पहचान कर काफी हद तक अपने अधिकारों के लिए लड़ना भी सीख लिया है। अब महिलाओं ने इस बात को अच्छी तरह जान लिया है कि वे एक-दूसरे की सहयोगी हैं। महिलाओं का काम अब केवल घर चलाने तक ही सीमित नहीं है।