500 वर्षों के संघर्ष के दौरान हिंदुओं की राह बाधित करने के अनेकों प्रयास किये गये
ऐसा प्रतीत होता है कि 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में जितने भी रामभक्त बाबरी विध्वंस में प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से सम्मिलित थे उन सभी में उस दिन रामेश्वरम रामसेतु के निर्माण में संलग्न देव तुल्य वानरों की आत्मा प्रवेश कर गई थी।