Lockdown के 60वें दिन सरकार ने गिनाये ‘राष्ट्रव्यापी बंदी’ के फायदे
लॉकडाउन के कारण कोविड-19 से संक्रमण के 14 से 29 लाख तक मामले कम किए जा सके जबकि 37 हजार से 78 हजार के बीच लोगों की जिंदगी बचा ली गई। यह बात शुकवार को सरकार ने विभिन्न अध्ययनों का हवाला देते हुए कही। सरकार ने कहा कि अभूतपूर्व बंद से महामारी के खिलाफ लड़ाई में ‘‘काफी फायदा’’ हुआ है। नीति आयोग के अधिकार प्राप्त समूह-एक के अध्यक्ष और सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी.के. पॉल ने कहा कि भारत में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए लॉकडाउन समय पर, चरणबद्ध तरीके से, सक्रिय रूप से और एहतियात के तौर पर लगाया गया। सरकार ने कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए 25 मार्च से राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लगाया था और वर्तमान में इसका चौथा चरण जारी है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के मामलों में कमी आने की ही तरह लॉकडाउन के कारण कोविड-19 से मरने वालों की संख्या काफी कमी आई है और लॉकडाउन से पहले तथा लॉकडाउन के बाद की स्थिति में काफी अंतर देखा गया है। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के सचिव प्रवीण श्रीवास्तव ने संवाददाता सम्मेलन में कोविड-19 के मामलों और मौतों के विश्लेषण आधारित अनुमान बताए जिन्हें लॉकडाउन के कारण रोका जा सका है। उन्होंने कहा कि बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के मॉडल के मुताबिक, लॉकडाउन के कारण 1.2 लाख से 2.1 लाख लोगों की जिंदगी बचा ली गई जबकि 36 लाख से 70 लाख के बीच कोविड-19 से संक्रमण के मामलों को रोका गया है। श्रीवास्तव ने बताया कि पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के मुताबिक लॉकडाउन के कारण करीब 78 हजार जिंदगियां बचाई गई हैं। दो अलग-अलग अर्थशास्त्रियों के मॉडल का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण कोविड-19 से संक्रमण के करीब 23 लाख मामले और 68 हजार मौतों को रोका जा सका है। श्रीवास्तव ने बताया कि सेवानिवृत्त वैज्ञानिकों सहित कुछ स्वतंत्र विशेषज्ञों ने आकलन किया है कि लॉकडाउन के कारण संक्रमण के 15.9 लाख मामले और 51 हजार मौतों को रोका जा सका है। उन्होंने कहा कि सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय तथा भारतीय सांख्यिकीय संस्थान के संयुक्त अध्ययन में पाया गया कि लॉकडाउन के कारण कोविड-19 से संक्रमण के करीब 20 लाख मामले और 54 हजार मौतों को रोका जा सका है। अधिकारी ने बताया कि लॉकडाउन के कारण कोविड-19 से संक्रमण के 14 लाख से 29 लाख मामले रोके जा सके तथा 37 हजार से 78 हजार के बीच लोगों की जिंदगियां बचाई जा सकीं। श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘हमें पूरा विश्वास है कि लोगों के पूर्ण सहयोग से लॉकडाउन का पूरा फायदा मिला है।’’ इससे पहले स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि लॉकडाउन का इस्तेमाल उसने स्वास्थ्य क्षेत्र में आधारभूत ढांचे को मजबूत करने में किया है। इस दौरान देश भर में केवल कोविड-19 के उपचार के लिए करीब 3027 अस्पताल बनाए गए और 7013 स्वास्थ्य केंद्र तैयार किए गए। स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अभी तक कोविड-19 के 48 हजार 534 रोगी ठीक हो चुके हैं जो कुल मामलों का करीब 41 फीसदी है। उन्होंने कहा कि पिछले 24 घंटे में 3234 रोगी उपचार के बाद ठीक हो गए। अग्रवाल ने बताया कि कोविड-19 के कारण मृत्यु दर 19 मई को 3.13 फीसदी से कम होकर 3.02 फीसदी हो गई है क्योंकि अब ध्यान इसे रोके जाने के उपायों और मामलों के क्लीनिक प्रबंधन पर है। आईसीएमआर के एक अधिकारी के मुताबिक शुक्रवार को दोपहर एक बजे तक कोविड-19 के लिए 27 लाख 55 हजार 714 जांच किए गए हैं जिसमें एक लाख तीन हजार 829 जांच एक दिन में किए गए। अधिकारी ने बताया कि पिछले चार दिनों में हर दिन कोविड-19 के एक लाख से अधिक जांच किए गए हैं। वी.के. पॉल ने कहा कि कोरोना वायरस के मामलों में चार अप्रैल से काफी कमी आई है, जब लॉकडाउन के कारण मामलों की संख्या में बढ़ोतरी पर लगाम लगी। पॉल ने कहा कि भारत में कोविड-19 के मामले कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित रहे और 80 फीसदी सक्रिय मामले सिर्फ पांच राज्यों में हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 से मौत के करीब 80 फीसदी मामले महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल और दिल्ली में रहे हैं।
30 दिन की अग्रिम बुकिंग
भारतीय रेल द्वारा राजधानी एक्सप्रेस के 15 रूटों पर चलायी जा रही विशेष ट्रेनों में यात्री अब 30 दिन की अग्रिम बुकिंग करा सकते हैं और इसकी टिकटें आईआरसीटीसी की वेबसाइट के अलावा टिकट काउंटरों पर भी उपलब्ध होंगी। इन ट्रेनों की टिकट की बुकिंग अब कम्प्यूटराइज्ड पीआरएस केन्द्रों, डाकघरों, यात्री टिकट सुविधा केन्द्रों के साथ-साथ आईआरसीटीसी के मान्यता प्राप्त एजेंटों और सामान्य सेवा केन्द्रों से भी करायी जा सकती है। भारतीय रेल ने कहा, ‘‘इन ट्रेनों में अग्रिम सीटें आरक्षित कराने की अवधि सात दिन से बढ़ाकर 30 दिन कर दी गई है।’’ ये 15 जोड़ी ट्रेनें पूर्ण रूप से वातानुकूलित हैं और इनका परिचालन 12 मई से शुरू हुआ है।
श्रमिक स्पेशल
रेलवे ने कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्तियों के लिए पृथक वार्ड के रूप में तब्दील किये गये अपने 5200 डिब्बों में से 60 फीसदी का श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाने के लिए उपयोग करने का निर्णय किया है। अधिकारियों ने बताया कि वैसे तो इन गैर एसी डिब्बों को फिर सामान्य डिब्बे में नहीं बदला जाएगा लेकिन उनका उपयोग किया जाएगा क्योंकि वे इसी सेवा के लिए हैं। उन्होंने बताया कि चूंकि ये डिब्बे पृथक वार्ड में तब्दील किये जाने के बाद यूं ही पड़े हुए हैं और उन्हें भी तैनात किया जाना बाकी है, ऐसे में रेलवे ने प्रवासी स्पेशल सेवाओं के लिए उनका उपयोग करने का निर्णय लिया है। 21 मई को जारी आदेश में कहा गया है, ”बोर्ड चाहता है कि कोविड-19 मामलों में सहयोग के लिए निर्धारित किये गये डिब्बों में से 60 फीसदी यानी 3120 डिब्बों का रेलवे श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने के लिए उपयोग करे। बोर्ड ने इसकी अनुमति दी है।’’ पृथक वार्ड बनाते समय इन डिब्बों से बीच का बर्थ हटा दिया गया था और नीचे के हिस्से को प्लाइवुड से जोड़ दिया गया था। बीच का बर्थ नहीं होने से इन डिब्बों वाली ट्रेनों में कम यात्री होंगे। अधिकारियों ने बताया कि यात्रा के दौरान इन डिब्बों में ऑक्सीजन टैंक, वेंटीलेटर और अन्य मेडिकल उपकरण हटा दिये जायेंगे।
तमिलनाडु घरेलू उड़ानों को शुरू करने के खिलाफ
कोरोना वायरस संक्रमण के लगातार बढ़ते मामलों के बीच तमिलनाडु 25 मई से घरेलू उड़ानों को शुरू करने के खिलाफ है। एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया राज्य सरकार इस मामले को केंद्र के समक्ष उठा सकती है। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय सोमवार को उड़ानों की शुरुआत करने की तैयारी कर रहा है लेकिन तमिलनाडु इसे टालना चाहता है। राज्य सचिवालय में नियुक्त अधिकारियों ने कहा कि मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी 31 मई तक सेवाएं बहाल नहीं करने के पक्ष में हैं। उन्होंने बताया, ‘‘राज्य सरकार इस मुद्दे को केंद्र के समक्ष उठा सकती है।” अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार की तात्कालिक चिंता राज्य में आने वाले लोगों की जांच करना और यह पता लगाना है कि कोई संक्रमित तो नहीं है। उन्होंने बताया कि गत दस दिनों में स्वास्थ्य विभाग ने विदेश और दूसरे राज्यों से आने वाले 66 लोगों को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया। कोविड-19 को लेकर केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देश के मुताबिक राज्य की सीमा में आने वालेलोगों की जांच की जानी चाहिए और लक्षण होने पर सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया जाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि 11मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंस के जरिये हुई बैठक में भी पलानीसामी ने मई के अंत तक तमिलनाडु में रेल और विमान सेवाएं शुरू नहीं करने की सलाह दी थी। इस बीच, चेन्नई हवाई अड्डे के अधिकारियों ने बताया कि घरेलू उड़ान शुरू होने पर यहां आने वाले विमानों की समयसारिणी उन्हें अबतक नहीं मिली है।
हिमाचल प्रदेश में 12 नए मामले
हिमाचल प्रदेश में कोविड-19 के 12 नए मामले आने के साथ ही राज्य में अभी तक कोरोना वायरस से संक्रमित हुए लोगों की संख्या बढ़कर 165 हो गई है। अधिकारियों ने बताया कि राज्य में फिलहाल कोरोना वायरस संक्रमण के लिए 102 लोगों का इलाज चल रहा है। उन्होने बताया कि इनमें से 53 मामले हमीरपुर के हैं, जबकि कांगड़ा के 28, सोलन और बिलासपुर के पांच-पांच, मंडी के चार, सिरमौर, ऊना और चम्बा के दो-दो तथा कुल्लू का एक मामला है। हमीरपुर के उपायुक्त हरिकेश मीना ने बताया कि जिले में आए सभी 12 नए मामले उन लोगों के हैं जो अन्य राज्यों से लौटे हैं, सभी को अलग-अलग जगहों पर पृथक-वास केन्द्रों में रखा गया है।
गांव वाले ज्यादा जागरूक
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना वायरस के प्रति शहर वालों से ज्यादा जागरूक गांव वाले हैं। वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से ‘सबको मिलेगा रोजगार’ के तहत मनरेगा जॉब कार्ड वितरण अभियान का शुभारंभ करते हुए चौहान ने प्रदेश के सरपंचों से कहा, ‘कोरोना वायरस की लड़ाई एक दिन में खत्म नहीं हो सकती और हमने युद्ध स्तर पर व्यवस्था की और फैसला किया कि लॉकडाउन के दौरान कोई भी मजूदर पैदल अपने घर न जाए।’ उन्होंने कहा कि हमने उनके लिए नाश्ते—पानी एवं भोजन के साथ—साथ बसों एवं ट्रेनों की व्यवस्था की और कहीं—कहीं पर उनको पहनने के लिए जूते—चप्पल भी दिए हैं। चौहान ने बताया, ‘सरपंच, पंच एवं समाजसेवी सब अपने—अपने काम से इन मजदूरों की सेवा करते रहे।’ उन्होंने कहा, ‘मैंने शहरों से ज्यादा जागरूकता गांवों में देखी। उन्होंने अपने—अपने गांव सील कर दिये। अपने—अपने गांवों को घेर लिया, ताकि कोरोना वायरस का संक्रमण, प्रवासी मजदूरों से गांव में नहीं फैले।’ चौहान ने बताया, ‘इसलिए गांवों में कोरोना वायरस नहीं फैला। शहरों में ही ज्यादा फैला।’ उन्होंने कहा कि इसके लिए मैं सरपंच, पंच एवं ग्रामीणों को धन्यवाद देता हूं।
हड़ताल निषिद्ध
उत्तर प्रदेश सरकार ने अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम (एस्मा) के तहत सरकारी सेवाओं, निगमों और स्थानीय प्राधिकरणों की सेवाओं में अगले छ माह तक हड़ताल को प्रतिबंधित किया है। उप्र के अपर मुख्य सचिव, कार्मिक मुकुल सिंहल की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक उत्तर प्रदेश अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम, 1966 (उत्तर प्रदेश अधिनियम संख्या 30 सन् 1966) की धारा 3 की उप धारा (1) के तहत राज्य के कार्यकलापों से संबंधित किसी भी लोकसेवा, राज्य सरकार के स्वामित्व या नियंत्रण वाले किसी निगम या स्थानीय प्राधिकरण में हड़ताल पर अगले छह माह के लिए प्रतिबंध लागू कर दिया गया है।
और कदम उठाए जाएंगे
वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी से पैदा हुई स्थिति से निपटने को अभी और कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार अभी सिर्फ कुछ रुकी है, अर्थव्यवस्था को उबारने और ‘आत्म-निर्भर’ भारत बनाने को अभी और उपायों की घोषणा की जाएगी। उन्होंने संकेत दिया कि कोविड-19 से प्रभावित क्षेत्रों के लिए आगामी दिनों में और घोषणाएं की जाएंगी। वित्त राज्यमंत्री ने साक्षात्कार में कहा कि यह महामारी शुरू होने के साथ ही सरकार ने लॉकडाउन की वजह से लोगों के समक्ष आई दिक्क्तों को दूर करने और वृद्धि को समर्थन के लिए कई कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि बीते रविवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशन में सरकार ने 20.97 लाख करोड़ रुपये के वृहद पैकेज की घोषणा की है। विभिन्न घोषणाओं का ब्योरा देते हुए ठाकुर ने कहा, ‘‘हमने सबसे पहले विभिन्न अनुपालन नियमों में ढील दी। दूसरा 1.70 लाख करोड़ रुपये का प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज और तीसरा 20.97 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज। लेकिन यह अंत नहीं है।’’ ठाकुर ने कहा, ‘‘यह घोषणाओं में ठहराव मात्र है, कदम आगे बढ़ते रहेंगे।’’ उनसे पूछा गया था कि क्या सरकार मौजूदा आर्थिक संकट से बाहर निकलने के लिए और उपायों की घोषणा करेगी। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार लोगों और कारोबार क्षेत्र की जरूरतों को लेकर काफी संवेदनशील है। मंत्रालय इस बारे में विभिन्न् क्षेत्रों से जानकारी ले रहा है। वित्त राज्यमंत्री ने कहा, ‘‘पर्यटन हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण क्षेत्र है। आतिथ्य या होटल एक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र है। नागर विमानन क्षेत्र भी महत्वपूर्ण है। भारत जैसे देश में ये क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में योगदान देते हैं। सिर्फ जीडीपी में ही योगदान नहीं देते रोजगार के लाखों अवसर भी उपलब्ध कराते हैं। हम इन क्षेत्रों के लिए या जो और क्षेत्र बच गए हैं, उनके लिए उपायों पर विचार कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि इसके साथ ही मैं कहना चाहूंगा कि इनमें से कुछ अन्य श्रेणियों में आ जायेंगे जहां उन्हें लाभ मिला है। छोटे होटल सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) में आएंगे। सरकार ने एमएसएमई क्षेत्र के लिये सिलसिलेवार कई घोषणायें की हैं। वे आत्म-निर्भर भारत अभियान पैकेज का लाभ ले सकते हैं। ठाकुर ने कहा कि आर्थिक सुधार लगातार जारी रहने वाली प्रक्रिया है। ‘‘मैं कहना चाहूंगा 2020 सुधारों का साल होगा।’’ सरकार ने पिछले सप्ताह कृषि, रक्षा विनिर्माण, नागर विमानन और खनन क्षेत्रों के लिए कई घोषणाएं कीं। उन्होंने कहा कि एमएसएमई की परिभाषा बदलने की लंबे समय की मांग को पूरा किया। किसानों को आवश्यक वस्तु अधिनियम और कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी) कानून के शिकंजे से बाहर किया गया। कोयला खनन और खनिज क्षेत्र को खोला गया। ये सभी कदम आत्म-निर्भरता की दृष्टि से सकारात्मक कदम हैं। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलना छोटा सुधार नहीं है। रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में स्वत: मंजूरी मार्ग से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा को 49 से बढ़ाकर 74 प्रतिशत किया गया है। यह भी एक साहसिक सुधार है। ठाकुर ने इन आलोचनाओं को खारिज किया कि सरकार ने मांग बढ़ाने के लिए विशेष कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने जरूरतमंदों के खातों में सीधे पैसा डाला है। 20.5 करोड़ जनधन खाताधारकों, 2.2 करोड़ राष्ट्रीय सुरक्षा सहायता कार्यक्रम के लाभार्थियों और नौ करोड़ किसानों के खातों में सीधे पैसा डाला गया है। ठाकुर ने कहा कि मोदी सरकार ने कई और कदम उठाए हैं जिसने जरूरतमंदों को सीधे लाभ होगा। इसमें 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन का वितरण, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत गैस सिलेंडर वितरण शामिल है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा सरकार ने एमएसएमई क्षेत्र को तीन लाख करोड़ रुपये का कर्ज बिना गारंटी के उपलब्ध कराने का भी प्रावधान किया है। वित्त राज्यमंत्री ने कहा कि लोगों के हाथ में पैसा होने से अर्थव्यवस्था की कुल मांग बढ़ाने में मदद मिलेगी।
सबसे ज्यादा मामले 21-28 जून के बीच आएंगे
शोधकर्ताओं की एक टीम के अध्ययन में कहा गया है कि 21 से 28 जून के बीच कोरोना वायरस संक्रमण के हर दिन सर्वाधिक करीब 7,000-7,500 मामले सामने आने की आशंका है। अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि जून के अंत तक कोविड-19 के मामलों में इजाफा होते रहेगा। शोध में शामिल यादवपुर विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ प्रोफेसर नंदादुलाल बैरागी ने बताया, ‘‘जुलाई के दूसरे सप्ताह से संक्रमण के मामले हर दिन घटने लगेंगे।’’ संक्रमण रोकने के उपायों, जांच बढ़ाने से अक्टूबर तक मामले कम हो जाने का अनुमान है। यादवपुर विश्वविद्यालय में गणितीय जीवविज्ञान और पारिस्थितिकी (बीएमबीई) केंद्र के प्रोफेसर और संयोजक बैरागी और पांच अन्य अध्ययनकर्ताओं ने यह शोध किया है। भारत सरकार के विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड द्वारा मंजूर गणितीय प्रारूप पर अध्ययन में कोविड-19 के मामले से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण किया गया। बैरागी ने कहा कि अक्टूबर के पहले सप्ताह में देश में पांच लाख मामले हो जाएंगे और इसके बाद इसमें गिरावट आने लगेगी। उन्होंने कहा कि कई लोग बिना लक्षण वाले मरीजों के संपर्क में आने से संक्रमित होंगे। इस कारण से संक्रमण के मामले बढ़ेंगे। वरिष्ठ शोधकर्ता ने कहा कि कोई दवा और टीका नहीं होने के कारण भारत को आर्थिक गतिविधियों को चालू करने के उपायों पर गौर करते हुए संक्रमण रोकने के लिए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन को जारी रखना होगा।
भाजपा की आलोचना
महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस ने शुक्रवार को विपक्षी दल भाजपा पर आरोप लगाया कि वह काफी ‘‘नीचे’’ गिर गई है और कोरोना वायरस के संकट के बीच उद्धव ठाकरे नीत सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर राज्य को ‘‘राजनीतिक मंच’’ बना रही है। भाजपा नेता देवेन्द्र फडणवीस के नेतृत्व में शुक्रवार को विपक्षी दलों ने महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने में शिवसेना के नेतृत्व वाली महा विकास आघाडी सरकार की ‘‘विफलता’’ के खिलाफ राज्यव्यापी प्रदर्शन किया। फडणवीस ने पार्टी सहयोगियों विनोद तावड़े और मुंबई भाजपा के प्रमुख मंगल प्रभात लोढ़ा के साथ मिलकर नरीमन प्वाइंट में राज्य पार्टी कार्यालय में प्रदर्शन किया। वे हाथों में तख्तियां लिए हुए थे और काला मास्क तथा काला रिबन लगाए हुए थे। महाराष्ट्र विकास आघाडी (एमवीए) सरकार के सत्तारूढ़ सहयोगियों ने भाजपा पर कोरोना वायरस जैसे स्वास्थ्य आपातकाल के दौरान राजनीति करने के आरोप लगाए। शिवसेना नेता और राज्य के पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे ने भाजपा का नाम लिए बगैर ट्वीट किया, ‘‘एक राजनीतिक दल की राज्य इकाई काफी नीचे गिर गई है और नया विश्व रिकॉर्ड बनाया है। जब सब लोग घृणा और भेदभाव भूलकर एक-दूसरे का सहयोग कर रहे हैं तब एकमात्र पार्टी है जो राजनीति कर रही है। पार्टी महामारी को भूल गई है।’’ उन्होंने बच्चों के फोटो भी ट्वीट किए जो भाजपा का झंडा लिए हुए हैं। राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष और एमवीए सरकार में राजस्व मंत्री बालासाहब थोराट ने आरोप लगाए कि भाजपा समाधान करने के बजाए महाराष्ट्र सरकार के लिए समस्याएं पैदा करने में ज्यादा रूचि ले रही है। पीडब्ल्यूडी मंत्री अशोक चव्हाण ने कहा कि जिस तरह से कांग्रेस महामारी से लड़ने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सकारात्मक सुझाव दे रही है, उसी तरह से राज्य भाजपा नेतृत्व को करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य भाजपा के नेता राजनीति में संलिप्त हैं।’’ राज्य कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने आश्चर्य जताया कि संकट के समय में किस तरह से भाजपा राजनीति कर रही है जब डॉक्टर, नर्स, पुलिस और प्रशासन कोरोना वायरस नाम के शत्रु से लड़ रहे हैं। सत्तारूढ़ राकांपा ने विपक्षी दल से पूछा कि क्या वह कोविड-19 योद्धाओं का अपमान कर रहा है और महाराष्ट्र से ‘‘धोखा’’ कर रहा है। राज्य के मंत्री और राकांपा की राज्य इकाई के प्रमुख जयंत पाटिल ने ट्वीट किया, ‘‘हाथ में काला (तख्तियां) लेने से पहले सोचे कि क्या आप चिकित्सकों, पुलिसकर्मियों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का अपमान कर रहे हैं जो महाराष्ट्र के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं। क्या आप महाराष्ट्र से धोखा कर रहे हैं?’’
तमिलनाडु में कोविड-19 से चार और मौत
तमिलनाडु में कम से कम 786 और लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए जिसके बाद राज्य में संक्रमण के कुल मामले 14,753 हो गए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि शुक्रवार को चार और लोगों की बीमारी से मौत हो गई। विभाग ने बताया कि इसी के साथ राज्य में कोविड-19 से मरने वालों की संख्या 98 हो गई है। राज्य में स्वस्थ होने वालों की दर में भी सुधार देखा गया और 846 लोगों को ठीक होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दी गई। इसी के साथ इलाज के बाद स्वस्थ होने वाले लोगों की संख्या 7,128 हो गई। वायरस की जांच में शुक्रवार को संक्रमित पाए गए लोगों में 92 लोग अन्य राज्य के थे और फिलीपीन से लौटा एक व्यक्ति शामिल था। विभाग के बुलेटिन के मुताबिक, सबसे अधिक 569 मामले चेन्नई में थे जहां अब तक संक्रमण के कुल मामले 9,364 हो गए हैं। यह लगातार तीसरा दिन है जब राज्य में कोविड-19 के 700 से अधिक मामले सामने आए। राज्य में 20 और 21 मई को क्रमश: 743 और 776 मामले सामने आए थे।
राशन और 1000 रुपये का भत्ता दिया जाएगा
देश के विभिन्न हिस्सों से उत्तर प्रदेश लौटे करीब 18 लाख प्रवासी मजदूर, कामगार जो पृथकवास केंद्र में रहने के बाद या लक्षण नहीं आने पर गृह पृथकवास के लिए अपने घरों में लौटे हैं उन्हें राज्य सरकार 15 दिन का राशन और 1000 रुपये बतौर भरण-पोषण राशि उपलब्ध करवाएगी। इस बीच, राज्य सरकार ने मास्क के बिना बाहर निकलने वालों पर सख्त रुख अख्तियार किया है और गत दो-तीन दिनों में पांच हजार लोगों से जुर्माना वसूला है। यह राशि प्रत्येक व्यक्ति 100 रुपये है। राज्य सरकार करीब एक हफ्ते पहले ही सार्वजनिक स्थल पर मास्क को अनिवार्य कर चुकी है। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने शुक्रवार को पत्रकार वार्ता में बताया कि अब तक प्रदेश में 20 लाख से अधिक प्रवासी श्रमिक, कामगार ट्रेनो और बसों के माध्यम से प्रदेश में लौट चुके हैं। प्रदेश की 46,103 ग्राम पंचायतो में बने पृथकवास केंद्र के माध्यम से 16 लाख 8 हजार 184 श्रमिक गये हैं। इसी तरह नगरीय क्षेत्र के 6,202 मोहल्लो में बने पृथकवास केंद्र से दो लाख 24 हजार 639 लोग गये हैं। इस तरह प्रदेश में कुल 18 लाख 24 हजार लोग पृथकवास केंद्र के माध्यम से गये हैं। अवस्थी ने बताया कि प्रवासी श्रमिको के आने का सिलसिला अभी भी जारी है क्योंकि लगभग 100 रेलगाड़ियां प्रतिदिन आ रही है। अवस्थी ने बताया कि देश में सबसे अधिक प्रवासी कामगार उत्तर प्रदेश में आये हैं। प्रदेश में अब तक 1,199 श्रमिक विशेष रेलगाड़ियों के माध्यम से लगभग 16.50 लाख से अधिक प्रवासी कामगार एवं श्रमिक को लाये जाने की व्यवस्था की गई है, इनमें से अब तक 930 रेलगाड़ियों से 12.33 लाख लोगों को प्रदेश में लाया जा चुका है। जबकि आज 117 रेलगाड़ियां आ रही हैं जो अगले 24-48 घंटे में प्रदेश के विभिन्न जनपदों में पहुंच जाएंगी। उन्होंने बताया कि सभी जिलों के जिलाधिकारी द्वारा सम्बंधित जिलों में रेलगाड़ियों से आ रहे प्रवासी कामगारों/श्रमिकों का स्वास्थ्य परीक्षण कराकर उनको उनके घर तक पहुंचाया जा रहा है। अवस्थी ने बताया कि प्रथम चरण में विभिन्न प्रदेशों से 60 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं एवं अन्य लोगों को रोडवेज बस के माध्यम से प्रदेश में लाया गया है। द्वितीय चरण में हरियाणा से 4452, राजस्थान से 355 एवं मध्य प्रदेश से 1440 रोडवेज बसों के माध्यम से 2,17,685 लोगों को लाया गया है। उन्होंने बताया कि विभिन्न माध्यमों से लगभग 20 लाख से अधिक प्रवासी कामगार व श्रमिक अब तक प्रदेश में आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कहीं भी, किसी भी जिले में कोई पैदल यात्रा न करें। प्रवासी कामगार व श्रमिक स्वयं तथा अपने परिवार को जोखिम में डालकर पैदल अथवा अवैध व असुरक्षित वाहन से घर के लिए यात्रा न करें। सरकार समस्त प्रवासी श्रमिकों के लिए सुरक्षित यात्रा हेतु पर्याप्त संख्या में बसों एवं रेलगाड़ियों की व्यवस्था कर रही है। अवस्थी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिये कि प्रवासी कामगारों की सकुशल वापसी के साथ ही उन्हें पृथकवास केंद्र में सुरक्षित ले जाएं। थर्मल स्कैनिंग के पश्चात जो स्वस्थ हों उन्हें खाद्यान्न पैकेट देकर गृह पृथकवास के लिए भेजा जाए। जिनमें लक्षण दिखायी दें उन्हें पृथकवास केंद्र अथवा पृथक वार्ड भेजा जाए। उन्होंने कहा कि अब तक 20 लाख से अधिक प्रवासी कामगार व श्रमिक उत्तर प्रदेश में सकुशल वापस आये हैं। इनकी संख्या को देखते हुए प्रत्येक पृथकवास केंद्र में इन्फ्रा रेड थर्मामीटर तथा पल्स ऑक्सीमीटर (शरीर में ऑक्सीजन का स्तर जांचने की मशीन) की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। अपर मुख्य सचिव ने बताया कि मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी प्रवासी कामगारों व श्रमिकों को 15 दिन के खाद्यान्न किट के साथ-साथ उन्हें नियमित तौर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए उनका राशन कार्ड बनवाया जाए। गृह पृथकवास के दौरान इन्हें 1000 रुपये का भरण पोषण भत्ता भी उपलब्ध कराया जाए। प्रवासी कामगारों व श्रमिकों को पृथकवास केंद्र में रखने के दौरान ही उनके कौशल संबंधी जानकारी को रिकॉर्ड किया जाए। गृह पृथकवास पूरा करने के साथ ही उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में भी तेजी से कार्य किया जाए। उन्होंने खाद्य एवं रसद विभाग को हर जरूरतमन्द को निःशुल्क खाद्यान्न उपलब्ध कराने में योगदान देने के निर्देश दिये।
‘फुकरे थ्री’ में दिखेगी कोविड-19 की दुनिया
फिल्मकार मृगदीप सिंह लांबा ने कहा कि वह अपनी हिट फ्रैंचाइजी फिल्म “फुकरे” के तीसरे भाग में कोविड-19 की स्थिति पर कुछ हिस्सा डालने पर विचार कर रहे हैं। लांबा ने कहा कि पुराने दो भाग – 2013 में आई “फुकरे” और 2017 में आई ‘‘फुकरे रिटर्न्स” की ही तरह तीसरे भाग में जबर्दस्त मनोरंजन होगा और यह फिल्म एक सामाजिक संदेश देगी। फरहान अख्तर और रीतेश सिधवानी की एक्सेल एंटरटेनमेंट इस फ्रैंचाइजी की निर्माता है। निर्देशक ने कहा कि उनकी टीम ‘‘फुकरे थ्री’ में वैश्विक महामारी की वर्तमान स्थिति और लॉकडाउन पर बात करने का विचार कर रही है। लांबा ने पीटीआई-भाषा से कहा, “इस हिस्से में भी एक कड़ा संदेश होगा जिसे लोग याद रखेंगे और यह मजाकिया अंदाज में परोसा जाएगा। मूल कहानी में इसका (कोविड-19 के बारे में) जिक्र नहीं था।” उन्होंने कहा,, “लेकिन अभी हम विचार ही कर रहे हैं। हमने इस पर चर्चा की है। हमें इसे (कोविड-19 स्थिति) कैसे दिखाना है, इसे लेकर सावधानी बरतनी होगी ताकि यह जबर्दस्ती जोड़ा हुआ न लगे।” उन्होंने कहा कि अगर टीम “फुकरे थ्री” के लिए कोरोना वायरस की स्थिति के इर्द-गिर्द विचार बुनने में कामयाब नहीं हुई तो वह पूरी फिल्म ही इस विषय पर केंद्रित रखने की योजना बना रहे हैं। लांबा ने कहा, “हम कोविड-19 पर या वर्तमान स्थिति को मजाकिया अंदाज में दिखाने के बारे में विचार कर रहे हैं। हम जरूर इस बारे में कुछ करेंगे। हम कुछ न कुछ बना लेंगे। हमें सही विचार की तलाश है।” निर्देशक ने बताया, “हमने लॉकडाउन से पहले इस पर काम करना शुरू कर दिया था और अब हम फोन से जुड़े हुए हैं। हमारे पास कहानी तैयार है और लेखन 80 प्रतिशत पूरा हो चुका है। हम पटकथा पर काम कर रहे हैं जो लगभग पूरी हो चुकी है। स्थिति सामान्य होने के बाद हम इस पर आगे की योजना बनाएंगे।”
महाराष्ट्र में एक दिन में सबसे अधिक 2,940 मरीज मिले
महाराष्ट्र में शुक्रवार को एक दिन में सबसे अधिक 2,940 कोविड-19 मरीज मिले। इसके साथ ही राज्य में कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 44,582 हो गई है। स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि गत 24 घंटे में कोरोना वायरस से 63 लोगों की मौत के साथ राज्य में इस महामारी में जान गंवाने वालों की संख्या बढ़कर 1,517 तक पहुंच गई है। उन्होंने बताया कि यह लगातार छठा दिन है जब राज्य में कोरोना वायरस से संक्रमण के नये मामलों की संख्या दो हजार से अधिक है। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में अबतक 12,583 लोग संक्रमण मुक्त होने के बाद घर लौट चुके हैं जबकि 30,474 मरीज उपचाराधीन हैं। अधिकारी के मुताबिक अबतक 3,32,777 नमूनों की जांच की गई है।
रिजर्व बैंक की घोषणा
भारतीय रिजर्व बैंक की कर्जदारों को कर्ज की किस्त चुकाने में तीन महीने की और राहत देने संबंधी घोषणा के चलते शुक्रवार को शेयर बाजारों में बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के शेयर छह प्रतिशत तक गिर गए। रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के उपाध्यक्ष (शोध) अजीत मिश्रा ने कहा, ”बाजार को रिजर्व बैंक से बैंकिग और वित्तीय क्षेत्र को गति देने वाले कदम उठाने की उम्मीद थी। लेकिन केंद्रीय बैंक के ऋण किस्त चुकाने पर स्थगन को आगे बढ़ाने से धारणा कमजोर हुई।’’ बीएसई में एक्सिस बैंक का शेयर 5.65 प्रतिशत, फेडरल बैंक का 5.08 प्रतिशत, आईसीआईसीआई बैंक 4.32 प्रतिशत, आरबीएल बैंक का 4.20 प्रतिशत, इंडसइंड बैंक का 2.52 प्रतिशत, एचडीएफसी बैंक का 2.43 प्रतिशत और भारतीय स्टेट बैंक का शेयर 0.72 प्रतिशत गिरकर बंद हुआ। हालांकि, कोटक महिंद्रा बैंक का शेयर 0.91 प्रतिशत चढ़कर बंद हुआ। बीएसई पर बैंकों के सचूकांक बैंकेक्स में 2.44 प्रतिशत की गिरावट रही। इसी तरह एनबीएफसी में महिंद्रा एंड महिंद्रा फाइनेंशियल सर्विसेस का शेयर 6.31 प्रतिशत, श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कंपनी का 5.78 प्रतिशत, चोलामंडलम इंवेस्टमेंट एंड फाइनेंस कंपनी का 5.12 प्रतिशत, बजाज फाइनेंस का 4.67 प्रतिशत और उज्जीवन फाइनेंशियल सर्विसेस का शेयर 3.57 प्रतिशत गिरकर बंद हुआ। रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कोरोना वायरस संकट से राहत देने के लिए ऋण किस्तों के चुकाने लगी रोक को 31 मई से तीन महीने बढ़ाकर 31 अगस्त तक करने की घोषणा की है। माना जा रहा है कि इससे बैंकों की स्थिति और कमजोर होगी।
किराया रोकने से निपटने के लिये तय किया पैमाना
कोविड-19 जैसी “अप्रत्याशित घटनाओं” से उत्पन्न स्थिति का हवाला देकर किरायेदारों द्वारा किराये की अदायगी रोकने के मामले से निपटने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले के तहत व्यापक पैमाने तय किये हैं। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने खान मार्केट के कुछ किरायेदारों की याचिका को खारिज करते हुए ये पैमाने तय किये। इन याचिकाकर्ताओं ने किराये का भुगतान स्थगित किये जाने की मांग की थी क्योंकि कोविड-19 महामारी के कारण वे परिसर का इस्तेमाल नहीं कर पाए थे। न्यायमूर्ति सिंह ने कहा कि वे दुकान खाली करने के आदेश होने के बावजूद दुकान खाली करने को राजी नहीं हैं। न्यायाधीश ने कहा, “यह सवाल कि क्या बंद की वजह से किरायेदार माफी या किराये के भुगतान में छूट अथवा उसे निलंबित करने का दावा कर सकते हैं, देश में कई जगह किरायेदारों द्वारा यह प्रश्न उठाया जाना तय है।” उन्होंने कहा, “इन सभी मामलों के निस्तारण के लिये कोई एक मानक नहीं हो सकता, लेकिन कुछ व्यापक मापदंडों को विचार में रखा जा सकता है, जिससे यह तय हो सके कि इस तरह के मामलों का समाधान कैसे हो।” पैमाने तय करते हुए न्यायमूर्ति सिंह ने कहा कि जहां मकान मालिक और किरायेदार के बीच करार हुआ हो जिसमें “अप्रत्याशित घटना” का प्रावधान शामिल हो, जिसमें किसी तरह की छूट या किराये के भुगतान को स्थगित करने की बात हो तो सिर्फ उसी स्थिति में किरायेदार राहत का दावा कर सकता है। उच्च न्यायालय ने कहा, “करार में अप्रत्याशित घटना करार अधिनियम के तहत कोई आपदा भी हो सकती है जिसके आधार पर किरायेदार यह दावा कर सकता है कि यह करार अब शून्य हो गया है और परिसर को खाली कर सकता है। हालांकि, किरायेदार अगर परिसर को रखना चाहता है और ऐसा कोई उपबंध करार में नहीं है जिससे उसे राहत मिले तब किराया या मासिक शुल्क देय होगा।” न्यायमूर्ति सिंह ने कहा कि ब्लैक के विधि शब्दकोश के मुताबिक ‘अप्रत्याशित घटना’ को “ऐसा वाकया या प्रभाव जिसका कोई अनुमान नहीं था न ही जिस पर कोई नियंत्रण हो” के तौर पर परिभाषित किया गया है और सामान्य शब्द कोश के मुताबिक “इसमें प्राकृतिक कृत्य (जैसे- बाढ़ और तूफान आदि) तथा लोगों के कृत्य (जैसे- दंगे, हड़ताल और युद्ध आदि) दोनों शामिल हैं।”